दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 105 भारत के अंदर किसी राज्य में समन, वारण्ट को कैसे भेजना है एवं भारत के बाहर ऐसे देश मे जो भारत का संविदाकारी देश है वहाँ पर समन, वारण्ट कैसे भेजना है इसकी प्रक्रिया को बताता है।
'इस धारा के नियमों को समझने से पहले हम आपको दण्ड प्रक्रिया संहिता की तीन धाराओं को समझाएंगे संक्षिप्त रूप से-
1.धारा 68 का नियम:- अगर न्यायाधीश किसी अन्य अधिकारिता क्षेत्र में समन भेजता है तब समन को निष्पादित करने वाला अधिकारी न्यायालय में हाजिर नहीं हो सकता है तब वह न्यायालय को शपथ पत्र भेज कर बता सकता है कि उसने समन को तामील कर दिया है।
2.धारा 80 का नियम:- अगर पुलिस अधिकारी द्वारा आरोपी को अधिकारिता क्षेत्र से अलग गिरफ्तार कर लिया जाए तो 30 km के तक वह न्यायालय होगा जिसने वारण्ट जारी किया है तब उसी न्यायालय में आरोपी को पेश किया जाएगा। लेकिन 30 km से अधिक होने पर आरोपी को पास के किसी भी न्यायालय के समक्ष पेश किया जायेगा।
धारा 81 नियम:-
1.न्यायालय की अधिकारिता क्षेत्र से बाहर गिरफ्तार व्यक्ति अगर किसी जमानतीय अपराध में गिरफ्तार हुआ है तब पुलिस आयुक्त, पुलिस अधीक्षक उसे जमानत पत्र या स्वयं के बन्ध पत्र पर जमानत दे सकते हैं एवं उस जमानत पत्र या बंधपत्र को वारण्ट जारी करने वाले न्यायालय को तुरंत भेजेगा।
2. अगर आरोपी ने अजमानतीय अपराध किया है तब पुलिस आयुक्त, पुलिस अधीक्षक को जमानत पर छोड़ने का अधिकार नही है वह ऐसे आरोपी को तुरंत नजदीकी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या सत्र न्यायालय भेजेगा।
'उपर्युक्त धारा के नियम जिलों के बाहर भेजे गए वारण्ट पर लागू होते हैं लेकिन यही नियम राज्यों एवं विदेशों से भारत लाने वाले आरोपी पर भी लागू होंगे।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 105 की परिभाषा:-
यह धारा भारत के राज्यों के बाहर या भारत के बाहर किसी संविदाकारी देश के आपराधिक मामले में आरोपी व्यक्ति को समन, गिरफ्तारी वारण्ट,तलाशी वारण्ट पर निम्न नियम लागू करता है:-
(1). राज्य क्षेत्र का न्यायालय किसी अन्य राज्य क्षेत्र के न्यायालय से यह चाहता है कि: -*
(A) किसी आरोपी को समन भेजना।
(B). आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए वारण्ट भेजना।
(C). किसी व्यक्ति से समन द्वारा अपेक्षा की जाती है कि कोई दस्तावेज या चीज के साथ हाजिर हो या न्यायालय के समक्ष पेश करे।
(D). न्यायालय द्वारा अन्य राज्य क्षेत्र को तलाशी वारण्ट भेजा जाना।
भारत के किसी राज्य में उपर्युक्त समन, वारण्ट,तलाशी वारण्ट आदि को भेजने पर:-
न्यायालय अपनी अधिकारिता से अलग के राज्य में समन, वारण्ट,तलाशी को दो प्रतियों में उस राज्य के न्यायालय के पीठासीन अधिकारी को भेजेगा , सनम या वारण्ट,तलाशी वारण्ट को न्यायालय डाक या अन्य माध्यम से भी भेज सकता है। अगर जिस राज्य में समन (A, C, के अनुसार) को तामील कर गया है तब वहाँ का प्राधिकृत अधिकारी उपर्युक्त धारा- 68 के अंतर्गत समन की तामील की सूचना न्यायालय को भेजेगा।
भारत के बाहर अन्य देश में भेजा गया आपराधिक वारण्ट,समन,तलाशी वारण्ट आदि:-
''भारत सरकार अगर किसी विदेश में आपराधिक मामले के आरोपी को गिरफ्तारी वारण्ट,समन, तलाशी वारण्ट भेजती है तब किसी भी वारण्ट या समन को दो प्रतिलिपि में उस देश के ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट को भेजेगा, एवं भारत सरकार उस देश से अपेक्षा करेगी कि वह आरोपी को भारतीय न्यायालय में पेश करे।
वारण्ट या समन का निष्पादन, तामील हो जाए तब उस राज्य या संविदाकारी देश द्वारा क्या प्रक्रिया होगी।:-
(i). जहाँ गिरफ्तारी का वारण्ट निष्पादित(पूर्ण) कर दिया गया है वहाँ गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के बारे में कार्यवाही के लिए उपर्युक्त धारा 80 एवं 81 के नियम लागू होंगे।
(ii). अगर तलाशी वारण्ट निष्पादित हो गया है तब धारा 101 के अंतर्गत किसी भी नजदीक न्यायालय के समक्ष तलाशी में मिली वस्तु दस्तावेज, को पेश किया जाएगा।(धारा 101 की परिभाषा हमने अपने लेख में बता दी गई है।)।
नोट:- संविदाकारी देश या राज्य ऐसा राज्य या देश होता है जिससे राज्य या केन्द्र सरकार ने कोई संधि की हो या कोई रीति संबंधित व्यवस्था एक दूसरे राज्य या देश से अपेक्षित हो। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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