दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-105 घ में हमने आपको बताया था कि न्यायालय किसी ऐसी संपत्ति की पहचान के लिए पुलिस अधिकारी को नियुक्त कर सकता है जो अवैध तरीके से कमाई गई हो। पुलिस अधिकारी द्वारा ऐसी जाँच, अन्वेषण या निरीक्षण पूरा हो जाता है और संपत्ति अवैध कमाई की पाई जाती है तब अधिकारी ऐसी संपत्ति का क्या करेगा जानिए आज की धारा 105-ङ में।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-105 ङ की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में):-
[जाँच करनें वाले पुलिस अधिकारी को अवैध कमाई की संपत्ति जब्त एवं कुर्की करने की शक्ति]
(1). न्यायालय को किसी अनुरोध पत्र द्वारा लगता है कि कोई संपत्ति अपराधी द्वारा अवैध कार्य करके कमाई गई है। तब न्यायालय उस संपत्ति की पुलिस अधिकारी से पहचान करवाएगा एवं पुलिस अधिकारी को लगता है कि वह संपत्ति छिपाए जाने, ट्रांसफर(स्थान्तरण) किए जाने, या किसी रीति से व्यवहार किये जाने की संभावना है। (अर्थात जाँच करने वाले पुलिस अधिकारी को लगता है कि जिस संपत्ति की वह जाँच, अन्वेषण कर रहा है वह संपत्ति किसी और व्यक्ति को ट्रांसफर होने वाली है या छिपा दी जाने वाली है आदि।) तब धारा 105-ङ उस पुलिस अधिकारी को शक्ति देता है कि वह ऐसी संपत्ति को तुरंत अपने कब्जे में ले ले। इसके लिए न्यायालय के आदेश की आवश्यकता नहीं है। अगर कोई संपत्ति शीघ्रता से नष्ट होने वाली है तब वह उस अवैध संपत्ति को तुरंत कुर्की करवा सकता है।
(2). लेकिन जांच अधिकारी द्वारा लिखा गया कुर्की अथवा जब्ती आदेश अस्थाई होगा। इस तरह के आदेश के 30 दिवस के भीतर कोर्ट की स्वीकृति अनिवार्य है। अर्थात न्यायालय को लगता है कि पुलिस अधिकारी ने उपरोक्त दोनों के अलावा किसी अन्य कारण से संपत्ति समपहरण या कुर्की का आदेश जारी कर दिया है तब न्यायालय तीस दिन के भीतर संपत्ति समपहरण या कुर्की के आदेश को शून्य भी कर सकता है। या वैध भी मान सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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