पिछले लेख में हमने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 105 में बताया था कि हमारे देश का कोई अपराधी विदेश भाग जाए तब वहां पर न्यायालय द्वारा समन, तलाशी वारण्ट एवं गिरफ्तारी वारण्ट कैसे भेजा जाएगा। तामील होने के बाद विदेश के मजिस्ट्रेट या वारण्ट निष्पादन करने वाले अधिकारी का क्या कर्त्तव्य होगा। पिछले लेख (धारा 105) में बता दिया है। भारत के बाहर किसी संविदाकारी देश में भारत का अपराधी वहाँ न्यायालय की अभिरक्षा में कैद है और किसी अन्वेषण, जाँच आदि के लिए भारत लाना है, या विदेश के अपराधी को भारत से भेजना होगा तो इसके लिए क्या प्रक्रिया होगी जानिए आज के लेख में।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 105-ख की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में):-
1. भारत का कोई न्यायालय किसी आपराधिक मामले के संबंध में किसी संविदाकारी देश से यह चाहता है कि किसी दस्तावेज,चीज पेश करने के लिए,किसी अपराधी व्यक्ति को गिरफ्तार करनें के लिए कोई वारण्ट जो न्यायालय द्वारा जारी किया गया है ऐसे वारण्ट को भारत वहाँ के देश में दो प्रतियों में भेजेगा। वह विदेश का न्यायालय,न्यायाधीश, या मजिस्ट्रेट ऐसे वारण्ट का निष्पादन करवाएगा।
2. यदि कोई भारत का अधिकारी जाँच, अन्वेषण आदि कर रहा है और अन्वेषण अधिकारी या अन्वेषण अधिकारी का वरिष्ठ अधिकारी न्यायालय से अपेक्षा करेगा कि संविदाकारी देश में जो हमारे देश का अपराधी है जाँच या अन्वेषण में उसको हाजिर होने आवश्यक है तब न्यायालय उस अपराधी व्यक्ति को भारत वापस बुलवाने के लिए समन या वारण्ट संविदाकारी देश के न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को जारी करेगा।
3.अगर भारत के किसी न्यायालय, न्यायाधीश, या मजिस्ट्रेट को किसी संविदाकारी देश से आपराधिक मामले के व्यक्ति को गिरफ्तार करने का वारण्ट, दस्तावेज, वस्तु पेश का वारण्ट एवं समन तामील, निष्पादन के लिए आता है तब भारत का न्यायालय ऐसे वारण्ट का निष्पादन, तामील आदि ऐसे करेगा जैसे वह भारत के न्यायालय की अधिकारिता क्षेत्र का मामला हो।
4. अगर भारत में किसी संविदाकारी देश का अपराधी व्यक्ति कैद में है और उसे संविदाकारी देश भेजना है तब भारत का न्यायालय या केंद्रीय सरकार ऐसी शर्ते अधिरोपित करेगी जो विदेश का न्यायालय या सरकार ठीक समझे।
5. अगर भारत का कोई अपराधी संविदाकारी देश अर्थात विदेश में कैद है तब उसे जाँच, अन्वेषण, एवं आरोप के अपराध में दण्ड के लिए भारत लाना है तब भारत का न्यायालय उन शर्तो का पालन करेगा जो संविदाकारी देश बताएगा।
''अर्थात 105- ख की उपधारा(4) विदेश के अपराधी को स्थान्तरण करने के लिए लागू होगी। एवं 105-ख की उपधारा (5) भारत के अपराधी को संविदाकारी देश से वापस लाने के लिए लागू होगी। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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