झूठी शिकायत पर भी क्या कार्यपालक मजिस्ट्रेट बेल बॉन्ड भरवा सकता है - LEARN CrPC SECTION 116

Bhopal Samachar
कार्यपालक मजिस्ट्रेट को अगर किसी व्यक्ति की शिकायत मिलती है कि कोई व्यक्ति लोकशान्ति में बाधा उत्पन्न कर सकता है तब वह आदेश, समन, वारण्ट द्वारा ऐसे व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने की अपेक्षा करेगा। अगर व्यक्ति उपस्थित होता है तब मजिस्ट्रेट धारा 116 के अंतर्गत क्या कार्यवाही कर सकता है, जानिए।

दण्ड़ प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 116 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में):-

मजिस्ट्रेट के आदेश, समन एवं वारण्ट के बाद व्यक्ति न्यायालय में हाजिर हो जाता है एवं व्यक्ति को आदेश एवं जमानत बन्ध-पत्र क्या होता है यह जानकारी समझा दी गई है तब मजिस्ट्रेट को लगता है कि व्यक्ति के विरुद्ध की गई शिकायत गलत है तब कार्यपालक मजिस्ट्रेट इसकी सत्यता के लिए जांच करवा सकता है।

जाँच प्रारंभ दिनांक से छः माह में पूरी होना आवश्यक है। तब तक मजिस्ट्रेट व्यक्ति से जमानत बन्ध-पत्र निष्पादित करने को कहेगा क्योंकि तुरंत शांति कायम करने के लिए यह आवश्यक होगा। अगर व्यक्ति जमानत बंधपत्र देने से मना करता है तब उसे गिरफ्तार करके जाँच समाप्ति तक न्यायिक अभिरक्षा में रखा जायेगा।

अगर कोई आदतन अपराधी या दु:साहसिक एवं भयंकर अपराधी होगा तब वह समाज में संकट उत्पन्न न करे इसके लिए उसे जमानत बन्ध-पत्र के समय जमानतदार की आवश्यकता होगी एवं समाज में इसकी जांच आसानी से हो सकती है।

जांच के समय अगर की व्यक्ति को न्यायिक अभिरक्षा में रखा गया है एवं छः माह पूर्ण होने पर भी जाँच पूरी नहीं होती हैं, तब ऐसे व्यक्ति को न्यायिक अभिरक्षा एवं बंधपत्र से मुक्त कर दिया जाएगा।

इसके बाद जिस व्यक्ति की शिकायत की गई थी एवं जिसने शिकायत की थी वह व्यक्ति सत्र न्यायालय (न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास)  में आवेदन कर सकते हैं। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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