जब किसी व्यक्ति द्वारा कोई अपराध किया जाता है तो उसे दंडित करने के लिए न्यायालय द्वारा निर्धारित अवधि तक जेल में बंद कर दिया जाता है। फिल्मों में दिखाते हैं कि जेल की तरफ से उसे विशेष प्रकार के कपड़े, बर्तन और बिस्तर दिया जाता है। सवाल यह है कि क्या सचमुच ऐसा होता है। यदि मध्यप्रदेश की बात करते हैं तो, यहां की जेलों में ऐसा नहीं होता। आइए जानते हैं क्या जेल में बंद कैदी अपने मनपसंद कपड़े पहन सकता है और अपने पसंदीदा बिस्तर पर सो सकता है या नहीं।
पहले ये जानना आवश्यक है:-
मेणटेनेन्स ऑफ इन्टरनल सिक्यूरिटी एक्ट 1971, केंद्रीय सरकार द्वारा किये गए निदेश या जारी किए गए आदेश के किसी भी नियम के अधीन रहते हुए यह आदेश मध्यप्रदेश के किसी भी स्थान में कैद अपराधी (कैदियों) पर लागू होगा, एवं मध्यप्रदेश में यह आदेश मध्यप्रदेश निरोध आदेश, 1971 के नाम से जाना जाएगा।
मध्यप्रदेश निरोध आदेश, 1971 का आदेश क्रमांक 8 की परिभाषा:-
कोई भी बंदी व्यक्ति अपने स्वयं के कपड़े पहन सकता है एवं अपने स्वयं के बिस्तर का उपयोग भी जेल में कर सकता है। अगर जेल का अधीक्षक अनुमति देता है तब अपराधी (बंदी) उसके मित्र या रिश्तेदार से अतिरिक्त कपड़े या बिस्तर मंगवा सकता है। अगर किसी बंदी व्यक्ति को जेल में कपड़े या बिस्तर की व्यवस्था नहीं हो पाती है तब अधीक्षक का कर्तव्य होगा कि वह बंदी व्यक्ति के लिए कपड़ो की व्यवस्था करे।
उपर्युक्त आदेश किसी अपराध के लिए सजा काट रहे जेल में बंद कैदियों पर लागू होता है किसी आरोप में बंद व्यक्ति पर लागू नहीं होता क्योंकि ऐसा व्यक्ति अपराधी की श्रेणी में नहीं आता बल्कि आरोपित की श्रेणी में आता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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