शक्ति रावत। एक बार ऐसा हुआ कि एक गांव के दो लड़के एक 6 साल का और दूसरा 12 साल का। दोनों एकदम पक्के दोस्त थे। साथ खेलते, साथ ही पूरा दिन रहते, जहां भी जाते साथ ही जाते। एक दिन ये दोनों लडक़े खेलते-खेलते गांव से दूर एक सुनसान जगह पर निकल गए। वहां एक कुआं था। खेलते हुए इनमें से जो बड़ा लड़का था, 12 साल का, वह अचानक कुंए में गिर गया। छोटा लडक़ा जो छह साल का था, अपने दोस्त को मुसीबत में देखकर परेशान हुआ और मदद के लिए यहां-वहां देखने लगा। लेकिन वहां मदद मांगने के लिए दूर-दूर तक कोई भी नहीं था।
इधर उसका दोस्त डूब रहा था। जब कोई रास्ता ना दिखा तो उस छोटे लडक़े ने कुंए के पास पड़ी पानी खींचने की रस्सी हिम्मत करके उठाई और कुएं में फेेंक दी, और अपने दोस्त से कहा कि, इसे पकड़ो। छोटे लडक़े ने उसी रस्सी के सहारे अपने दोस्त को कुंए से बाहर खींच लिया। अब दोनों घबराए हुए थे, उन्हें लगा कि जब घर जाकर वे सबको यह बात बताएंगे, तो उनको बहुत डांट सुननीं पड़ेगी लेकिन जब वे वापस गांव में अपने घर पर पंहुचे तो बड़ी अजीब स्थिति बन गई। क्योंकि कोई भी उनकी बात पर भरोसा करने को तैयार नहीं था, उल्टा गांव के और परिवार के लोग उनका मजाक उड़ा रहे थे। हर किसी की जब़ान पर एक ही सवाल था, कि ऐसा कैसे हो सकता है। भला 12 साल के लडक़े को 6 साल का लडक़ा कुंए से कैसे बाहर निकालेगा। वो भी रस्सी के सहारे, यह तो किसी चुटकुले से कम नहीं है।
दोनों लडक़े सच कह रहे थे, पर उनका सच मानने को कोई तैयार नहीं था। लेकिन गांव में एक बुर्जुग थे, जिनको लडक़ों की बात पर यकीन था। लोगों ने उनसे पूछा कि आपको क्यों ऐसा लगता है, कि ये लडक़े सच बोल रहे हैं। तब बुर्जुग ने मुस्कुराते हुए कहा कि, ये लडक़े सच बोल रहे हैं, छोटा लडक़ा इसलिये अपने से उम्र में 6 साल बड़े लडक़े को कुंए से रस्सी के सहारे खींचकर बाहर निकाल सका क्योंकि वहां पर इससे कोई यह कहने वाला नहीं था, कि यह अंसभव है, और तुम यह नहीं कर सकते।
MORAL OF THE STORY
कुछ ऐसी ही स्थिति कितनी बार जिंदगी में हमारी होती है। बहुत सारे काम हम सिर्फ इसलिये नहीं कर पाते क्योंकि दूसरों को लगता है, या वे कहते हैं, कि तुम यह नहीं कर सकते, और हम हिम्मत हार जाते हैं। जबकि हमारे अंदर उस काम को अच्छी तरह से करने की काबिलियत मौजूद होती है, फिर भी हमारा भरोसा डगमगा जाता है। इसलिये दुनिया की नहीं बल्कि अपने दिल की आवाज सुनिये, लोग क्या कहेंगे मायने नहीं रखता, आप क्या करेंगे मायने रखता है। अगर अंदर से खुद पर भरोसा है, तो फिर दूसरों की मत सुनिये। जब सवाल अपने लक्ष्य को हासिल करने का हो, तब एकदम बहरे बन जाईये, ताकि आपके कानों तक यह आवाज ही ना पंहुचे कि तुम यह नहीं कर सकते। हमेशा भरोसा खुद पर रखिये लोगों की राय पर नहीं। -लेखक मोटीवेशनल स्पीकर हैं।