भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के साथ बात करते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का एक बयान (जिसे सबसे पहले वह भोपाल समाचार में प्रकाशित किया) मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी के अंदर बड़े संघर्ष का कारण बनता जा रहा है। विंध्य क्षेत्र में कमलनाथ और अजय सिंह के बीच खुला संघर्ष लगभग सुनिश्चित नजर आ रहा है। कमलनाथ अपने तरीके से फैसले ले रहे हैं और सूत्रों का कहना है कि अजय सिंह उनको जवाब देने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं।
कमलनाथ और अजय सिंह की लड़ाई स्टेप बाय स्टेप
कोई प्लानिंग नहीं थी, डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के साथ बात करते हुए जब विंध्य क्षेत्र की बात आई तो कमलनाथ ने यह एडमिट किया कि विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी कमजोर हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि यदि विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी कमजोर ना होती तो मध्यप्रदेश में उनकी सरकार नहीं गिरती।
अजय सिंह ने कमलनाथ के बयान का विरोध किया और कहा कि सरकार विंध्य क्षेत्र के कारण नहीं बल्कि उनके अपने फैसलों के कारण गिरी है।
कमलनाथ ने अजय सिंह के प्रभाव वाले क्षेत्र में उनके विरोधी कांग्रेस नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को प्रभारी बना दिया। यानी अजय सिंह को कांग्रेस से VRS की तैयारी शुरू हो गई।
वर्षों से कमलनाथ की सिक्योरिटी में तैनात सज्जन सिंह भी मैदान में कूद पड़े। उन्होंने अजय सिंह को नसीहत दी कि इस तरह के बयान नहीं देनी चाहिए। यानी अजय सिंह राहुल को अनुशासन हीन बता दिया।
बात सिर्फ विंध्य क्षेत्र की नहीं है, कांग्रेस में क्षत्रियों के अस्तित्व का सवाल है
लड़ाई बढ़ती जा रही है। मुद्दा सिर्फ बिंद क्षेत्र का नहीं है बल्कि कांग्रेस पार्टी में क्षत्रियों के अस्तित्व का प्रश्न खड़ा हो गया है। अजय सिंह को खत्म करने का मतलब है विंध्य क्षेत्र में दिग्विजय सिंह को खत्म करना। पुत्र मोह और 40 साल की दोस्ती के कारण दिग्विजय सिंह ने 2018 से लेकर अब तक कई ऐसे फैसलों का समर्थन किया है जो उनकी पहचान को प्रभावित करते हैं। देखना यह है कि क्या राजा दिग्विजय सिंह अपने राजनीतिक गुरु स्वर्गीय राजा अर्जुन सिंह के चिरंजीव अजय सिंह राहुल का रक्षण कर पाएंगे या नहीं।
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