भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि प्रमोशन पर प्रतिबंध के कारण कर्मचारियों को उच्च पदों पर प्रभार की तैयारी की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों को उच्च पद पर प्रभार दिया जाएगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान के 'माई का लाल' बयान के कारण 2016 से अब तक शासकीय कर्मचारियों के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट का स्थगन लगा हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग मसौदा तैयार कर रहा है। इसके कानूनी पहलुओं पर विचार विमर्श किया जा रहा है ताकि बाद में कोई दिक्कत ना आए। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश पुलिस डिपार्टमेंट में पदोन्नति के बदले प्रभार वाली व्यवस्था शुरू हो चुकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की रूचि के चलते मुख्य सचिव इस मामले को देख रहे हैं।
पदोन्नति के नए नियम बनाने को लेकर राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के पूर्व चेयरमैन रमेशचंद शर्मा ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से करीब डेढ़ महीने पहले लंबी बातचीत की थी। उन्होंने बताया कि गृह विभाग में उच्च प्रभार वाले पदों पर प्रमोशन किया जा रहा है। कई जिलों में कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल से एएसआई, एएसआई से एसआई का पद देने के आदेश किए जा रहे हैं।
प्रमोशन के बदले प्रभार देकर वापस भी लिया जा सकता है
शर्मा के मुताबिक इन नियमों में पदोन्नत किए गए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रिवर्ट करने का विकल्प भी रखा जाएगा। इसकी वजह यह है कि पदोन्नति में आरक्षण संबंधी मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। सर्वोच्च न्यायालय से जो आदेश होंगे उसके बाद सरकार को उस पर अमल करना पड़ेगा।
50,000 शासकीय सेवक बिना प्रमोशन रिटायर हो गए
सन 2016 में विधानसभा चुनाव 2018 की तैयारी के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अजाक्स के कार्यक्रम में 'माई का लाल' वाला बयान देकर सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन पर रोक लगा दी थी। तब से लेकर अब तक मामला टलता चला रहा है और 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इस मामले पर फैसला होने की उम्मीद भी नहीं है।