उपदेश अवस्थी। एक वक्त हुआ करता था कि मध्य प्रदेश में सबसे बड़े राजनीतिक गुट के नेता दिग्विजय सिंह हुआ करते थे परंतु 2018 में कांग्रेस पार्टी को सत्ता में वापस लाने के बाद दिग्विजय सिंह का एजेंडा बदला-बदला सा नजर आता है। अपने उत्तराधिकारी जयवर्धन सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने के लिए वह एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं, शायद दिग्विजय सिंह अपने राजनीतिक गुरु अर्जुन सिंह जैसी गलती नहीं करना चाहते।
अर्जुन सिंह ने क्या गलती की थी
मध्य प्रदेश की राजनीति के इतिहास में अर्जुन सिंह सबसे ताकतवर नेताओं में से एक हैं। एक वक्त ऐसा भी था जब मध्यप्रदेश में अर्जुन सिंह से कांग्रेस पार्टी की पहचान थी, कांग्रेस पार्टी से अर्जुन सिंह की पहचान नहीं थी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से मुक्त होने के बाद भी अर्जुन सिंह कांग्रेस पार्टी में काफी पावरफुल रहे लेकिन उन्होंने अपने बेटे अजय सिंह राहुल को एक निर्धारित मर्यादा से अधिक संरक्षण नहीं दिया। यह भी एक कारण है कि अजय सिंह राहुल आज मध्य प्रदेश की कांग्रेस पार्टी में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कमलनाथ अपने दम पर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं
हाईकमान से सिर्फ एक मौका मांग कर मध्य प्रदेश की राजनीति में आए कमलनाथ अब यहां से वापस जाने को तैयार नहीं है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ तीसरे नंबर (दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद) पर गिने जाते थे परंतु वर्तमान में वह नंबर वन पर हैं और बिना दिग्विजय सिंह की मदद के अपने दम पर विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियां कर रहे हैं।
दिग्विजय सिंह का टारगेट फिक्स- जयवर्धन सिंह कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष
दिग्विजय सिंह ने अपना टारगेट सेट कर लिया है। चाहे समर्थकों के कितने भी हितों से समझौता करना पड़े परंतु युवराज जयवर्धन सिंह को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष (नंबर दो की पोजीशन) बनवाना है। इधर कमलनाथ, कार्यकारी अध्यक्ष पद को खत्म करना चाहते हैं।
रामनिवास रावत और सुरेंद्र चौधरी से संतुष्ट नहीं हैं कमलनाथ
ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ छोड़ कर आए रामनिवास रावत एवं सुरेंद्र चौधरी को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया परंतु कमलनाथ दोनों नेताओं के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है। मध्य प्रदेश में तीसरे कार्यकारी अध्यक्ष का नाम जीतू पटवारी है। पटवारी जब तक केवल विधायक थे तब तक काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। कैबिनेट मंत्री बनने के बाद जीतू पटवारी कांग्रेस पार्टी के लिए उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं।
कमलनाथ की नई टीम में नेता पुत्रों की फौज
कमल नाथ की नई टीम करीब 60 पदाधिकारियों की होगी, जिसमें आधे पदों की जिम्मेदारी युवा चेहरों को देने की कोशिश है। कांग्रेस पार्टी में युवा चेहरे का मतलब योग्य एवं जनता के बीच लोकप्रिय युवा नेता नहीं होता बल्कि पावरफुल वरिष्ठ नेता का उत्तराधिकारी होता है। कांग्रेस पार्टी की नई कार्यकारिणी में भी नेता पुत्रों की फौज नजर आने की पूरी संभावना है।
40 साल की दोस्ती कमजोर हुई है, दरार नहीं आई
मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की 40 साल की दोस्ती में कमजोरी साफ नजर आती है परंतु दोनों ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और अपने अपने बेटों को पावरफुल करना चाहते हैं इसलिए दोनों के बीच दरार आने की संभावना काफी कम है। कुछ मुद्दों पर असहमति हो सकती है परंतु इस उम्र में बीच का रास्ता निकालने की आदत और आइडिया काफी मजबूत हो जाते हैं।
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