मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टर और सरकार के बीच सीधा संघर्ष शुरू - MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल
। मध्यप्रदेश में मेडिकल स्टूडेंट्स (जिन्हें जूनियर डॉक्टर कहते हैं) और सरकार के बीच सीधी लड़ाई शुरू हो गई है। दोनों पक्षों के लिए यह मामला प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। सुर्खियों में बने रहने के लिए जूनियर डॉक्टरों ने आज कोरोना वाॅरियर्स सर्टिफिकेट वापस करने की बात की। इधर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हड़ताली डॉक्टर किसी और विचारधारा से भ्रमित नजर आ रहे हैं।

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल में जनता सरकार के साथ 

मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के इतिहास में शायद पहली बार है जब जनता हड़ताल करने वालों की नहीं बल्कि सरकार के साथ है। अस्पतालों में इलाज के लिए तरस रहे मरीजों और उनके परिजनों से लेकर मध्यप्रदेश का प्रत्येक बुद्धिजीवी एवं जागरूक नागरिक इस विषय पर एक मत है कि हड़ताल के दौरान इमरजेंसी, कोरोनावायरस और ब्लैक संदेश के मरीजों का इलाज बंद नहीं करना चाहिए। जूनियर डॉक्टर अपने फायदे के लिए लोगों की मौत का कारण बनने वाली हड़ताल नहीं कर सकते।

हड़ताली डॉक्टरों को दूसरी विचारधारा के लोग भ्रमित कर रहे हैं 

मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश नारायण सारंग का कहना है कि उच्च न्यायालय ने जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल खत्म करने के लिए कहा, हिमने भी उनसे यही कहा है लेकिन वे मान नहीं रहे हैं। हमने उनकी मांगों को मान लिया हैं लेकिन वे हमसे बात नहीं कर रहे हैं। उन्हें कोई दूसरी विचारधारा के लोग भ्रमित कर रहे हैं।

भोपाल में हड़ताली डॉक्टरों का नया पैंतरा 

शुक्रवार को सरकार के निर्देश पर GMC (गांधी मेडिकल कॉलेज) के डीन ने इस्तीफा देने वाले 28 जूनियर डॉक्टरों को बांड भरने और हॉस्टल खाली करने के नोटिस जारी किए। इसके साथ ही हड़ताली डॉक्टरों ने अपना स्टैंड चेंज कर दिया। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरविंद मीणा ने कहा कि हम सरकार की तरफ से डॉक्टरों को कोरोना वॉरियर्स के दिए सर्टिफिकेट लौटाएंगे। (समाचार लिखे जाने तक सर्टिफिकेट लौटाए जाने की सूचना नहीं थी)

इंदौर में इमोशनल टच देकर सहानुभूति जुटाने की कोशिश

हड़ताली डॉक्टरों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज पब्लिक सपोर्ट का है। जिन डॉक्टरों को कुछ दिनों पहले तक भगवान कहा जा रहा था आज इलाज बंद हड़ताल के कारण उनकी निंदा की जा रही है। इमोशनल टच लेकर सहानुभूति जुटाने के लिए इंदौर में हड़ताली डॉक्टरों ने MY हॉस्पिटल के सामने फिल्म 'थ्री इडियट्स' का गाना 'सारी उम्र हम मर-मर कर जी लिए' गाया। इसी हॉस्पिटल में कई मरीज इलाज के अभाव में तड़पते हुए वापस लौट गए। गरीबों को जान बचाने के लिए कर्ज लेकर प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है। 

ग्वालियर में 'मूंगफली में दाना नहीं, तुम हमारे मामा नहीं' 

ग्वालियर में हड़ताली जूनियर मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ सीनियर मेडिकल स्टूडेंट्स भी प्रदर्शन करते नजर आए। शिवराज सिंह चौहान विरोधियों का समर्थन प्राप्त करने के लिए हड़ताली डॉक्टरों ने जगह-जगह पोस्टर भी चिपकाए हैं मूंगफली में दाना नहीं, तुम हमारे मामा नहीं। (महत्वपूर्ण बात यह है कि इतना सब होने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी के विरोधी हड़ताली डॉक्टरों के साथ खड़े नजर नहीं आए।) 

जबलपुर में अब आईएमए भी हड़ताल में शामिल

जबलपुर में हड़ताली जूनियर मेडिकल स्टूडेंट्स ने दावा किया है कि सीनियर स्टूडेंट्स के अलावा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर भी उनका समर्थन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम भीख मांग कर सरकारी बांड के 30 लाख रुपए भर देंगे। (समाचार लिखे जाने तक ना तो IMA का कोई पदाधिकारी हड़ताल करता नजर आया और ना ही जनता ने हड़ताली डॉक्टरों को भीख में कुछ दिया)

रीवा में मरीज को बंधक बनाया गया था, आज जनता से समर्थन की भीख मांगी

रीवा में कुछ दिनों पहले कुछ जूनियर डॉक्टरों ने एक मरीज को ना केवल बेरहमी से पीटा बल्कि ओपीडी में बंदर बना लिया था। आज उसी रीवा में हड़ताली मेडिकल स्टूडेंट्स ने भीख मांग कर जनता से समर्थन जुटाने की कोशिश की।

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