भोपाल। कोरोनावायरस की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरा होने के समाचार के बीच मध्यप्रदेश में स्कूल खोलने की कवायद शुरू हो गई है। पब्लिक का मूड जानने के लिए एक्सपर्ट्स की तरफ से बयान आना शुरू हो गए। सरकार सोशल मीडिया की स्टडी करेगी की पेरेंट्स क्या चाहते हैं। फिलहाल ना तो कोई डेट फाइनल हुई है और ना ही कोई फार्मूला लेकिन माना जा रहा है कि 15 अगस्त से स्कूलों के संचालन की कोशिश की जाएगी।
स्कूलों का फैसला जिलास्तर पर होगा: शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा- वैसे इस बार सरकार पॉवर डेलीगेट करने जा रही है। पहले राज्य स्तर पर फैसले होते थे, अब कोरोना संक्रमण के हालात, जिले और स्कूलों में मौजूद संसाधनों के आधार पर निर्णय होंगे। इसके लिए अधिकार कलेक्टर और जिला क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी को दिए जा सकते हैं। कमेटी से कहा जाएगा कि वह अपने यहां के शिक्षाविदों, एक्सपर्ट्स और स्कूल संचालकों से चर्चा करके ही फैसला लें।
वैक्सीनेशन और पॉजिटिविटी रेट पर आधारित फार्मूला बना रहे हैं
सरकार एक फार्मूला निकाल रही है जिसके अंतर्गत जहां न्यूनतम 50% लोगों को पहली वैक्सीन लग गई हो और संक्रमण दर न्यूनतम स्तर पर हो वहां स्कूल खोलने पर पहले विचार किया जाएगा। कोरोना संक्रमण दर के साथ छोटे बच्चों के माता-पिता के वैक्सीनेशन की भी मॉनिटरिंग की जाएगी। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने घोषणा की है कि 12 साल तक के बच्चों के माता-पिता का प्राथमिकता से वैक्सीनेशन होगा।
स्कूल खोलने के लिए इंतजार कीजिए: हेल्थ एक्सपर्ट्स
मध्य प्रदेश स्टेट एडवाइजरी कमेटी के सदस्यों ने सरकार को स्कूल खोलने के लिए इंतजार करने की सलाह दी है। वे चाहते हैं कि सरकार को ज्यादा से ज्यादा जगहों पर ट्रायल की अनुमति देनी चाहिए ताकि बच्चों के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध हो सके। पहली लहर में बुजुर्ग, दूसरी में युवा संक्रमित हुए, इससे लगता है कि तीसरी लहर में बच्चे हो सकते हैं।