भोपाल। मध्यप्रदेश के ऐसे रेत ठेकेदार जिन्होंने महंगी बोली लगाकर खुदा ने लीज पर ले ली है परंतु उन्हें चला नहीं पा रहे हैं। ऐसे रेत ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार नीति नियमों में परिवर्तन करने का विचार कर रही है।
मध्य प्रदेश में रेत ठेकेदारों को राहत का ड्राफ्ट तैयार
मध्यप्रदेश में घाटे में चल रहे थे ठेकेदारों को संरक्षण देने के लिए मंत्री समूह संक्षेपिका तैयार कर रहा है। जिसके आधार पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निर्णय लेंगे। इस मामले में खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह, विभाग के प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह सहित अन्य मंत्रियों एवं अधिकारियों की मुख्यमंत्री के साथ बैठक हो चुकी है। संभावना है कि राज्य सरकार जून अंत तक ठेकेदारों के लिए कुछ रियायतों की घोषणा करेगी।
पर्यावरण की एनओसी और लॉकडाउन के कारण घाटा हो गया
प्रदेश की रेत खदानें दिसंबर 2019 में नीलाम हुई थीं। एक साल के लिए सरकार ने रायल्टी में छूट दी थी। जिसका फायदा ठेकेदार नहीं उठा पाए। अव्वल तो पर्यावरण एवं उत्खनन अनुमति लेने में देरी हो गई और जैसे-तैसे खदानें चालू करने की स्थिति में आए, तो कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लग गया। निर्माण कार्य बंद हो गए और रेत की खपत नहीं हुई। हालांकि इस बीच खदानों से रेत चोरी का सिलसिला चलता रहा। जिससे ठेकेदारों का नुकसान बढ़ गया। ठेकेदार इसीलिए राहत की मांग कर रहे हैं।
होशंगाबाद सहित कई ठेकेदारों ने खदान छोड़ दी
एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा के चलते ठेकेदारों ने ऊंची बोली लगाकर खदानें तो ले लीं, पर उन्हें चला नहीं पा रहे हैं। इसके चलते प्रदेश की सबसे बड़ी नर्मदापुरम (होशंगाबाद) रेत खदान को ठेकेदार ने छोड़ दिया था। जिसे फिर से नीलाम करना पड़ा। यही स्थिति रायसेन, मंदसौर, आलीराजपुर की खदानों के साथ बनी। ठेकेदार इतनी राशि भी नहीं निकाल पाए कि रायल्टी की दूसरी किस्त जमा कर पाएं। आखिर खनिज निगम में तीनों ठेकेदारों को दी गई लीज निरस्त कर दी और नए सिरे से खदानें नीलाम करने की तैयारी चल रही है। उज्जैन और आगर-मालवा जिलों की स्थिति तो और भी खराब है। दोनों जिलों की खदानों को ठेकेदार ही नहीं मिल रहे है, जबकि निगम चार बार टेंडर जारी कर चुका है।
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