भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25% सीटों पर गरीब बच्चों को एडमिशन देने के मामले में घोटाले के संकेत मिल रहे हैं। मध्य प्रदेश शासन के राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा RTE के तहत आरक्षित की गई सीटों की संख्या में गड़बड़ी है। बड़े अफसरों को बचाने के लिए इसे किसी क्लर्क की गलती बताया जा सकता है परंतु फिलहाल घोटाला सामने है।
मध्य प्रदेश में इस साल एक साथ दो शिक्षा सत्र 2020-21 और 2021-22 के लिए एडमिशन प्रक्रिया शुरू की गई है। इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि राज्य शिक्षा केंद्र के उच्चाधिकारियों द्वारा इस प्रक्रिया के संदर्भ में सभी प्रकार के विचार कर लिए गए हैं लेकिन गरीब बच्चों के लिए आरक्षित की गई सीटों की संख्या में गड़बड़ी है।
इंदौर में हर साल 17000 सीटें आरक्षित होती हैं, इस बार 12000 सीटें प्रदर्शित की जा रही है। भोपाल में 20000 सीटों के स्थान पर मात्र 5500 सीटें प्रदर्शित की जा रही हैं। कुल मिलाकर पूरे प्रदेश में कई जिलों में सीटों की संख्या या तो पूर्व के वर्षो की तुलना में कम है या फिर नए स्कूलों में आरक्षित सीटों की संख्या को जोड़ा नहीं गया है। संदेश तो यह भी किया जा सकता है कि बड़े स्कूलों को लाभ देने के लिए आंकड़ों की कबड्डी खेली गई है।
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