भोपाल। शिक्षा विभाग के लिए प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा आयोजित उच्च माध्यमिक एवं माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के बाद और जॉइनिंग से पहले डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में विवाद शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग जिन विषयों को महत्व देता है, स्कूल शिक्षा विभाग उन विषयों की डिग्री को रद्दी मान रहा है। फिलहाल मामला जीव विज्ञान विषय का है। विवाद शुरू हो गया है।
उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में जीव विज्ञान विषय के अंतर्गत प्रावधिक चयन सूची में जितने चयनित अभ्यर्थी हैं। इनमें कुछ अभ्यर्थियों का स्नातकोत्तर का विषय माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री आदि है, जिसे विभाग दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया में अमान्य निर्धारित कर रहा है एवं केवल वनस्पति शास्त्र और जंतु विज्ञान के अभ्यर्थियों को योग्य, निर्धारित कर रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग इन विषयों के अभ्यर्थियों को महाविद्यालय में अध्यापन कार्य के लिए योग्य मानता है, लेकिन स्कूलों में उच्च माध्यमिक शिक्षण के अमान्य किया जा रहा है। हमारे पास पूरी योग्यता है, फिर भी हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है।
नितिन सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी, भोपाल का कहना है कि कोर विषय के रूप में जूलॉजी व बॉटनी को ही शामिल किया गया है, इस कारण इन्हें अमान्य किया गया है। यानी मामला अब पॉलिसी का हो गया है। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री को कोर विषय के रूप में मान्यता नहीं दे रही। यदि कोई निदान ना हुआ तो यह मामला हाईकोर्ट की चौखट पर दस्तक देता नजर आ सकता है।