नई दिल्ली। भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारत मौसम विज्ञान विभाग के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र ने 2021 के मानसून का पूर्वानुमान जारी कर दिया है। मौसम विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल मानसून सामान्य रहेगा। ना तो अधिक वर्षा होगी और ना ही कम।
भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा बताया गया है कि देश भर में कुल मिलाकर दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के सामान्य रहने (दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) का 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत) की बहुत संभावना है। मात्रा के हिसाब से, देश भर में मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के 4 प्रतिशत कम/ज्यादा की मॉडल त्रुटि के साथ दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) का 101 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
देश भर में कुल मिलाकर 1961-2010 की अवधि के लिए मौसमी वर्षा का एलपीए 88 सेमी है। चार समरूप वर्षा में दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के उत्तर पश्चिम भारत (92-108 प्रतिशत) और दक्षिण प्रायद्वीप (93-107 प्रतिशत) में सामान्य रहने की बहुत संभावना है। मौसमी वर्षा के पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम (<95 प्रतिशत) रहने का अनुमान है जबकि मध्य भारत में सामान्य से अधिक (>106 प्रतिशत) रहने का अनुमान है।
मानसून कोर जोन जिसमें देश के अधिकांश वर्षा पूरित कृषि क्षेत्र शामिल हैं, में दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के सामान्य से अधिक (एलपीए का >106 प्रतिशत) रहने का अनुमान है। मानसून मौसमी वर्षा के स्थानिक रूप से सुवितरित (चित्र 1) होने का अनुमान है। देश के अधिकांश क्षेत्रों में मौसम के दौरान सामान्य तथा सामान्य से अधिक वर्षा प्राप्त होने का अनुमान है।
नवीनतम वैश्विक मॉडल अनुमानों से संकेत मिलता है कि व्याप्त तटस्थ ईएनएसओ स्थितियों के विषवतरेखीय प्रशांत महासागर में जारी रहने तथा मानसून सीजन के दौरान हिन्द महासागर में नकारात्मक आईओडी स्थितियों के विकास की संभावना का अनुमान है।