भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी प्राइवेट स्कूलों की प्रस्तावित हड़ताल का विरोध सामने आया है। पेरेंट्स का कहना है कि जब नियमित रूप से स्कूलों का संचालन नहीं हो रहा तो पूरी फीस देने का सवाल ही नहीं उठता। यदि प्राइवेट स्कूल संचालकों ने सरकार पर दबाव बनाया और दबाव में आकर सरकार ने उन्हें फीस बढ़ाने की मंजूरी दे दी तो हम उनके और सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट चले जाएंगे।
भोपाल में पेरेंट्स सरकार के साथ, स्कूल संचालकों के विरोध में
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 6 जुलाई को स्कूल नहीं खोलने एवं सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने का ऐलान किया था। 8 जुलाई को प्राइवेट स्कूलों की संस्था एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल्स मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों ने इस घोषणा के विरोध में 12 जुलाई से स्कूल बंद करने का ऐलान कर दिया था। इसी दिन शाम को सरकार ने ट्यूशन फीस लेने का आदेश भी जारी कर दिया था। इसके चलते प्राइवेट स्कूल संचालकों ने 12 जुलाई से ऑनलाइन पढ़ाई बंद करने एवं फर्स्ट टर्म यानि त्रैमासिक एग्जाम नहीं लेने की बात कहते हुए अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।
सरकार ने सही निर्णय किया है, हम सरकार के साथ हैं: पेरेंट्स
भोपाल के कोलार निवासी पेरेंट्स नीलम सिंह ने कहा कि बेटा कोलार के एक प्राइवेट स्कूल में 5वीं में पढ़ता है। स्कूल बंद है, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर पूरी फीस ली जा रही है। इनमें बस, कंप्यूटर समेत स्कूल की अन्य एक्टिविटी के चार्ज भी वसूले जाते हैं।
अवधपुरी के विजय चौहान कहते हैं, हम बेमतलब की फीस क्यों दें। यदि स्कूल खुले हो और अन्य एक्टिविटी चालू हो तो भी फीस देने को तैयार है।
करोंद के मुकेश जाटव का कहना है कि कोरोना काल में सरकार ने ट्यूशन फीस लेने का अच्छा फैसला किया है। तीसरी लहर आने की आशंका के चलते स्कूल नहीं खोलने का निर्णय भी अच्छा है।