आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ताप्ती जयंती के रूप में मनाया जाता है। ताप्ती माता को भगवान सूर्यनारायण की पुत्री कहा जाता है। मान्यता है कि मानव कल्याण के लिए, मनुष्य को ताप अर्थात गर्मी से बचाने के लिए ताप्ती नदी को पृथ्वी पर भेजा गया था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसी तिथि पर भगवान सूर्यनारायण दक्षिणायन हो जाते हैं। पृथ्वी पर उसका ताप कम होने लगता है और वर्षा ऋतु एवं शीत ऋतु के लिए योग्य पर्यावरण प्राप्त होता है। ताप्ती नदी भारत की पूज्य एवं पवित्र नदियों में से एक है।
मां ताप्ती की कथा
भविष्य पुराण में ताप्ती महिमा के बारे में लिखा है कि सूर्य ने विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा/ संजना से विवाह किया था। संजना से उनकी 2 संतानें हुईं- कालिंदनी और यम। उस समय सूर्य अपने वर्तमान रूप में नहीं, वरन अंडाकार रूप में थे। संजना को सूर्य का ताप सहन नहीं हुआ, अत: वे अपने पति की परिचर्या अपनी दासी छाया को सौंपकर एक घोड़ी का रूप धारण कर मंदिर में तपस्या करने चली गईं।
छाया ने संजना का रूप धारण कर काफी समय तक सूर्य की सेवा की। सूर्य से छाया को शनिचर और ताप्ती नामक 2 संतानें हुईं। इसके अलावा सूर्य की 1 और पुत्री सावित्री भी थीं। सूर्य ने अपनी पुत्री को यह आशीर्वाद दिया था कि वह मानवों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर जाकर नदी के रूप में विनय पर्वत से पश्चिम दिशा की ओर बहेगी।
वायु पुराण में लिखा गया है कि कृत युग में चन्द्र वंश में ऋष्य नामक एक प्रतापी राजा राज्य करते थे। उनके एक सवरण को गुरु वशिष्ठ ने वेदों की शिक्षा दी। एक समय की बात है कि सवरण राजपाट का दायित्व गुरु वशिष्ठ के हाथों सौंपकर जंगल में तपस्या करने के लिए निकल गए।
वैभराज जंगल में सवरण ने एक सरोवर में कुछ अप्सराओं को स्नान करते हुए देखा जिनमें से एक ताप्ती भी थीं। ताप्ती को देखकर सवरण मोहित हो गया और सवरण ने आगे चलकर ताप्ती से विवाह कर लिया। सूर्यपुत्री ताप्ती को उनके भाई शनिचर (शनिदेव) ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी भाई-बहन यम चतुर्थी के दिन ताप्ती और यमुनाजी में स्नान करेगा, उनकी कभी भी अकाल मौत नहीं होगी।
भारत की परम पूज्य ताप्ती नदी की भौगोलिक जानकारी
राज्य: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात
शहर: सूरत, बुरहानपुर, भुसावल, बैतूल, नन्दुरबार
उद्गम स्थल: मुलताई (जिला बैतूल, मध्य प्रदेश)
स्थान: सतपुड़ा पर्वत
ऊँचाई: 730 मी. (2,395 फीट)
निर्देशांक: 21°46′11.9994″N 78°15′0″E
मुहाना: खम्भात की खाड़ी (अरब सागर)
स्थान: दुमास, सूरत, गुजरात, भारत