जब शरीर के विभिन्न अंगों तक खून, पानी व ऑक्सीजन सही मात्रा में नहीं पहुंच पाते। ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर शरीर की तंत्रिकाओं में तनाव पैदा हो जाता है, जिससे हड्डियों में दर्द का अनुभव होने लगता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इसका मतलब हड्डी का कमजोर हो जाना नहीं होता।
इसके अलावा हड्डियों का दर्द चोट या फिर अन्य कारणों से हो सकता है। इसमें बोन कैंसर (प्राथमिक मैलिग्नेंसी), मेटास्टेटिक मैलिग्नेंसी, हड्डियों को रक्त की आपूर्ति में अवरोध हो जाना, हड्डियों में संक्रमण (ऑस्टियोमायलिटिस), ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर), हड्डियों में खनिज की कमी (ऑस्टियोपोरोसिस) प्रमुख कारण हैं। मेडिकल साइंस में लगातार इस दिशा में रिसर्च चल रही है।
विश्वेश्वरय्या प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से पास आउट इंजीनियर ब्रिज मौर्य बताते हैं कि हमारी हड्डियों की संरचना भी सिर्फ कैल्शियम से पूरी नहीं होती। हड्डियों का साँचा बनाने का काम कोलैजेन (Collagen) करता है और उन्हें सही आकार देता है। फिर उसे कठोर और मजबूत करने का काम कैल्शियम फॉस्फेट करता है। साथ ही इसमें पानी भी 30 प्रतिशत होता है।
कॉलेजन (Collegen) क्या होता है
मांसपेशियों के संयोजी ऊतक में पाया जाने वाला एक प्रकार का प्रोटीन है। इसके अतिरिक्त हड्डियों में पाए जाने वाले लुब्रिकेंट यानी सायनोवियल फ्लुएड के कम हो जाने के कारण भी हड्डियां आपस में टकराने लगते हैं जिसके कारण दर्द होने लगता है।
हड्डियों में दर्द का निवारण
इसलिए हड्डियों में दर्द होने पर किसी एक कारण को मानकर उसका इलाज शुरू ना करें बल्कि पहले जांच करवाएं कि हड्डियों में समस्या क्या है और फिर उसका इलाज करें। यदि आपका डॉक्टर बेईमान नहीं है तो वह आपको दर्द निवारक दवा खाने की सलाह कभी नहीं देगा।