DM-SDM का ट्रांसफर होने के बाद क्या दूसरा कार्यपालक मजिस्ट्रेट जमानतदार को अस्वीकार कर सकता है - LEARN CrPC SECTION 121

Bhopal Samachar
जब किसी व्यक्ति को लोकशान्ति कायम रखने के लिए कोई जमानत बंधपत्र देना होता है तब बहुत से मामलों में बंधपत्र के साथ जमानतदार व्यक्ति को बुलाया जाता है एवं उनकी ग्यारंटी पर व्यक्ति की जमानत मंजूर कर ली जाती है। क्या जमानत मंजूरी के पहले या बाद में कार्यपालक मजिस्ट्रेट (DM, SDM, तहसीलदार) का ट्रांसफर होने के बाद दूसरा कार्यपालक मजिस्ट्रेट  जमानतदार को अस्वीकार कर सकता है, जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 121 की परिभाषा:-

कोई भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति को जो जमानतदार बनने के काबिल नहीं है उसे जमानत बंधपत्र के समय अस्वीकार कर सकता है। अगर तत्कालीन (पूर्ववर्ती) मजिस्ट्रेट ने ऐसे व्यक्ति को जमानतदार बनाया था जो खुद सदाचारी नहीं था तब मजिस्ट्रेट उस जमानत बंधपत्र के जमानतदार को भी अस्वीकार कर सकता है।

लेकिन जमानतदार को अस्वीकार करने से पहले मजिस्ट्रेट उसकी जाँच करवा सकता हैं एवं इसकी जाँच रिपोर्ट अधीनस्थ मजिस्ट्रेट को भेजेगा। एवं मजिस्ट्रेट जाँच करने से पहले इसकी सूचना जमानतदार एवं उस व्यक्ति को देगा जिसकी जमानत ली गई है एवं सभी साक्ष्यों को अभिलिखित करेगा।

मजिस्ट्रेट की जाँच में जमानतदार सही पाया जाता है तब वह उस जमानतदार को स्वीकार भी कर सकता है या अस्वीकार भी ये उसके स्वयं विवेक पर निर्भर करता है लेकिन स्वीकार या अस्वीकार का आदेश देने से पहले समन या वारण्ट द्वारा जमानतदार एवं उस व्यक्ति को सूचना देगा। एवं उनको अपने समक्ष हाजिर करवाएगा या बुलवाएगा।

अर्थात जमानतदार (व्यक्ति की ज़मानत लेने वाला व्यक्ति) ही सदाचारी नहीं है तब मजिस्ट्रेट को लगता है तब ऐसे व्यक्ति को पहले या बाद में अस्वीकार कर सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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