मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध माता मंदिरों में एक है ग्वालियर का मांढरे वाली माता का मंदिर। इस मंदिर की स्थापत्य कला तो अद्वितीय है ही लेकिन अष्टभुजा वाली मां काली की प्रतिमा सबसे दिव्य और अद्भुत है। कहा जाता है कि महिषासुर मर्दिनी माता महाकाली की कृपा के कारण ही सिंधिया राजवंश का आज तक पता नहीं हुआ, जबकि भारत के ज्यादातर राज्य रजवाड़े विलुप्त हो चुके हैं।
मांढरेवाली माता का मंदिर कर्नल आनंदराव मांढरे के कहने पर बनवाया गया था
बताया जाता है कि इस मंदिर को करीब 140 वर्ष पूर्व आनंदराव मांढरे जो कि जयाजीराव सिंधिया की फौज में कर्नल के पद पर थे, के कहने पर ही तत्कालीन सिंधिया शासक (जयाजीराव सिंधिया) ने यह मंदिर बनवाया था। आज भी इस मंदिर की देखरेख और पूजा-पाठ का दायित्व मांढरे परिवार निभा रहा है।
ग्वालियर के जय विलास पैलेस महल से मांढरेवाली माता के दर्शन होते हैं
बताया जाता है कि जयविलास पैलेस और मंदिर का मुख आमने-सामने है। जयविलास पैलेस से एक बड़ी दूरबीन के माध्यम से माता के दर्शन प्रतिदिन सिंधिया शासक किया करते थे। साढ़े तेरह बीघा भूमि विरासतकाल में इस मंदिर को राजवंश द्वारा प्रदान की गई। मंदिर की हर बुनियादी जरूरत को सिंधिया वंश द्वारा पूरा किया जाता है।
मांढरे की माता मंदिर ग्वालियर की कथा
महाराजा जयाजीराव सिंधिया और उनकी सेना के एक कर्नल को कुलदेवी सपने में लगातार आने वाले खतरों से आगाह करने लगीं, उनकी चेतावनी सटीक बैठती थी। एक बार कुलदेवी ने महाराज जयाजीराव को मंदिर बनाने का आदेश दिया। जयाजीराव ने मंदिर के लिए जमीन ऐसी तलाश की जो उनके कमरे की खिड़की से सीधी नजर आती थी। जयाजीराव ने अपने कमरे में कुलदेवी के सीधे दर्शन के लिए विशेष झरोखा भी बनवाया।
देश में इस समय शारदीय नवरात्र धूमधाम से मनाया जा रहा है।
- करीब 140 साल पहले जयाजी राव सिंधिया की फौज में आनंदराव मांढरे कर्नल थे।
- महाराज जयाजी राव और कर्नल मांढरे को कुलदेवी मां काली सपने में आकर आने वाले खतरे से आगाह करने लगीं।
- कर्नल मांढरे और जयाजी महाराज को सपने में मिलने वाली जानकारी सटीक साबित होने लगी।
- इन सपनों से महाराज जयाजीराव को राजकाज के फैसलों में आसानी होने लगी।
- कर्नल मांढरे को सपने में मां काली ने सिंधिया राजवंश के साम्राज्य को स्थाई बनाने के लिए एक मंदिर बनावाने का आदेश दिया।
- जब कर्नल ने महाराज जयाजीराव को सपने के बारे में बताया तो महाराज ने कर्नल को ही मंदिर निर्माण के लिए अधिकृत कर दिया।
- तब से कर्नल आनंदराव मांढरे के ही वंशज इस मंदिर की देखरेख करते आरहे हैं।
- इसी वजह से सिंधिया राजवंश की कुलदेवी के मंदिर को मांढरे वाली माता मंदिर के नाम से जाना जाता है।
अषटभुजा महिषासुर मर्दिना मां काली है सिंधिया राजवंश की कुलदेवी
- जयाजी महाराज ने जयविलास पैलेस के सामने ही एक पहाड़ी पर माता का मंदिर बनाने का आदेश दिया।
- कर्नल मांढरे ने मंदिर में अष्टभुजा वाली महिषासुर मर्दिनी मां महाकाली की प्रतिमा को स्थापित किया।
- जयाजी महाराज माता की भक्ति ऐसे समर्पित हुए कि उनके लिए सुबह उठते ही प्रथम दर्शन और शाम को सोने से पहले दर्शन जरूरी हो गए।
- इसके लिए उन्होंने अपने कमरे में एक विशेष झरोखा बनवाया, और इस झरोखे में एक दूरबीन लगवाई।
- महाराजा जयाजीराव ने सुबह उठते ही प्रथम दर्शन और रात सोने से पहले कुलदेवी के दर्शन को नियम बना लिया।