यदि आप सिविल सर्विस में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपकी टेबल पर सत्येंद्र टैगोर का फोटो जरूर होना चाहिए। सत्येंद्र टैगोर (सत्येंद्र नाथ टैगोर, सत्येंद्र नाथ ठाकुर) वह नाम है जिसने योग्यता की कठिन लड़ाई में ब्रिटिश शासन के विद्वानों की पूरी फौज को हरा दिया था। सत्येंद्र टैगोर पहले भारतीय नागरिक हैं जिन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। सत्येंद्र टैगोर प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर के भाई थे।
FIRST INDIAN IAS SATENDRA TAGORE STORY in Hindi
सत्येंद्र टैगोर का जन्म 1 जून, 1842 को कोलकाता में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा घर पर और हायर एजुकेशन प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई। 1859 में उनका विवाह ज्ञानंदिनी देवी से हुआ। 1862 में वह आईसीएस की परीक्षा के लिए लंदन गए और पहले ही प्रयास में 1863 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। लंदन के हेलीबरी कॉलेज में ट्रेनिंग के बाद वह नवंबर, 1864 में उन्हें भारत भेजा गया।
सत्येंद्र टैगोर की पहली पोस्टिंग बॉम्बे प्रेसिडेंसी में हुई। 1865 में गुजरात के अहमदाबाद शहर में असिस्टेंट मैजिस्ट्रेट और कलेक्टर के पद पर पदस्थ हुए। 1882 में उन्हें जिला न्यायाधीश बनाकर कर्नाटक के कारवार में भेज दिया गया और 30 सालों तक सफलतापूर्वक विभिन्न पदों पर देश की सेवा करते हुए 1897 में महाराष्ट्र के सतारा न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए।
क्या ब्रिटिश शासन काल में भारतीयों को उच्च पद दिए जाते थे
1832 से पहले तक भारत में सभी प्रशासकीय पदों पर अंग्रेज ऑफिसर ही नियुक्त किए जाते थे और भारतीयों को प्रमोशन बहुत ही कम दिया जाता था। जब ब्रिटिश हाईकमान को यह विश्वास हो गया कि भारत में उनकी सत्ता स्थापित हो चुकी है तो उन्होंने भारतीय नागरिकों को उच्च पद की प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने का मौका दिया लेकिन प्रशासकीय पदों पर भारतीय नागरिकों को अंग्रेज अफसरों की तुलना में प्रमोशन के अवसर बहुत कम दिए जाते थे।
सत्येंद्र टैगोर ने अंग्रेजों को कैसे हराया
ब्रिटिश हाईकमान ने 1854 में सिविल सर्विस परीक्षा कमीशन का गठन कर दिया था। इसी के साथ इंडियन सिविल सर्विस में प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन शुरू हो गया और भारतीयों को शामिल होने की अनुमति मिल गई लेकिन भारत में अंग्रेज अधिकारी इस व्यवस्था से खुश नहीं थे। उन्होंने सिलेबस को कुछ इस तरीके से डिजाइन किया था कि 10 वर्ष तक कोई भी भारतीय विद्यार्थी इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा को पास नहीं कर पाया।
सत्येंद्र टैगोर को परीक्षा में पास होने से रोकने के लिए ब्रिटिश के विद्वानों ने पेपर को काफी कठिन बनाया गया लेकिन मैदान युद्ध का हो या योग्यता का, भारतीय जब आगे बढ़ता है तो असंभव लक्ष्य पर चमत्कारी जीत दर्ज करा ही देता है। सत्येंद्र टैगोर ने भी ऐसा ही किया। इसके बाद तो जैसे सिलसिला शुरू हो गया। 1867 में एक साथ चार भारतीय विद्यार्थियों ने इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
मजेदार जानकारियों से भरे कुछ लेख जो पसंद किए जा रहे हैं
(general knowledge in hindi, gk questions, gk questions in hindi, gk in hindi, general knowledge questions with answers, gk questions for kids, ) :- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com