बारिश की बूंदे गोल क्यों होती है, लंबी क्यों नहीं होती - GK in Hindi

Bhopal Samachar
बारिश की बूंदों के साथ खेलना किसे अच्छा नहीं लगता। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही धरती का कण-कण खिल उठता है। अपना सवाल यह है कि बारिश की बूंदे गोल क्यों होती है, लंबी क्यों नहीं होती। इसके पीछे का वैज्ञानिक सिद्धांत क्या है। आइए कुछ विशेषज्ञों से पता लगाते हैं:- 

बादल से गिरने वाली पानी की बूंदे गोल क्यों होती हैं

पटना यूनिवर्सिटी से पासआउट राजेश शर्मा बताते हैं कि बारिश की बूंदों के गोल होने के विषय में भौतिक विज्ञान का पृष्ठ तनाव (Surface Tension) का सिद्धांत काम करता है। यह चमत्कार पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है। केवल बारिश का पानी ही नहीं, ऊंचाई से गिरने वाला कोई भी पानी जैसे-जैसे पृथ्वी के नजदीक आता है, बूंदों में बदल जाता है और बूंदों का आकार पृष्ठ तनाव के कारण हमेशा गोल होता है।

पृष्ठ तनाव क्या होता है और पानी की बूंदों को गोल कैसे कर देता है

सीधी मध्यप्रदेश के रहने वाले 2011 बैच के इंजीनियर संतोष कुमार पटेल ने इसे बड़े ही सरल शब्दों में समझाया है। इंजीनियर संतोष कुमार बताते हैं कि पृष्ठ तनाव किसी द्रव की सतह का वह गुण है जिसके कारण यह प्रत्यास्थ की तरह फ़ैल जाती है या सिकुड़ जाती है अर्थात प्रत्यास्थता ( Elasticity ) का गुण प्रदर्शित करती है। द्रव के इस गुण को किसी द्रव की गोलाकार बूंदों के पास तथा साबुन के बुलबुलों के पास भली भांति देखा जा सकता है।

पृष्ठ तनाव के उदाहरण
1. यदि आप पानी की बूंदों को कांच की समतल प्लेट पर फैला देंगे तो आप देखेंगे कि पानी की बूंद अपने आप गोलाकार ले लेती हैं। यह चमत्कार पृष्ठ तनाव के कारण ही होता है। 
2. बारिश की बुँदे गोलाकार होने का कारण भी पृष्ठ तनाव है ही है। पृष्ठ तनाव के कारण आकाश से धरती की तरफ आ रही पानी की बूंद न्यूनतम आकार ग्रहण करने की कोशिश करती है। गुरुत्वाकर्षण की दृष्टि से गोलाकार सबसे न्यूनतम आकार होता है।

3. यदि आप 5 फुट की ऊंचाई से एक मग पानी को जमीन पर गिराएंगे तो उसका आकार एक लंबी धार के रूप में होगा। इसी पानी को 12 फीट की ऊंचाई (घर की छत) से गिराएंगे तो पाने की लंबी धार बिखर जाएगी। छोटी बूंदे गोल होंगी लेकिन कुछ लंबी भी हो सकती है।

अब इसी पानी को 25 फीट की ऊंचाई (दूसरी मंजिल) से गिराएंगे तो मग का पानी तेजी से बिखर कर छोटी-छोटी बूंदों में बदल जाएगा और सभी बूंदे बिल्कुल वैसा ही गोलाकार लेंगी जैसे की बारिश की बूंदों का होता है। (सारा खेल गुरुत्वाकर्षण का है) Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

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