सादर नमस्कार, विगत 15 माह से मप्र के प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय बंद हैं। ऐसे समय मे अति अल्प मानदेय पर 15 वर्षों से सेवा दे चुके अतिथि शिक्षक एवं उनके परिवार भयंकर आर्थिक विपन्नता का सामना कर रहें है। कई अतिथिशिक्षक कोरोना के शिकार बने तो कई बेरोजगारी के चलते आत्महत्या करने पर विवश हो गये क्योंकि शिक्षक एवं शिक्षा दोनो ही दायित्व निर्वहन की सीख देते हैं।
मगर वर्षों तक अल्प मानदेय पर इन्होंने नेताओं के झूठे वचनों के आधार पर काम किया और अपनी युवावस्था की ऊर्जा को खर्च किया। अब जब ये अधेड़ हो चुके हैं और शासन इनकी ओर ध्यान नहीं दें रहा। आर्थिक रूप से ये विपन्न हैं। परिवार की रोजी रोटी तक विद्यालय बंद होने से जुटाने मे जद्दोजहद करना पड़ रही है। ऐसे मे पारिवारिक तनावों व परेशानिया से हार कर दायित्व निर्वहन मे खुद को अक्षम पाकर आत्म हत्या जैसा जघन्य कृत्य करने पर विवश हो रहे है ऐसी म.प्र मे अनेकों घटनायें हो चुकी है जहॉं अतिथिशिक्षकों ने आत्महत्या की है।
जहां शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय बंद होने से अतिथिशिक्षकों के दुर्दिन हैं तो वहीं शिक्षा के नाम पर औपचारिकता व खाना पूर्ति हो रही है। जिसका भयंकर दुष्परिणाम छात्रों का शैक्षिक पतन है। खाना पूर्ति से सरकार रिजल्ट बनाकर छात्रों को उत्तीर्ण तो कर सकती है परंतु आगे जाकर अधिकांश छात्रों का बौद्धिक पतन देखने मिलेगा जो विद्यालयीन शिक्षा के अभाव मे होगा।
यहां 11 मई 2013 मे अतिथिशिक्षकों को संविदा शिक्षक बनाने की घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री शिवराजजी, उनको नियमितिकरण का वचन देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथजी एवं उनके नियमितिकरण की जिम्मेदारी लेने वाले पूर्व सीएम दिग्विजयजी व उनको ढाल और तलवार बनने का भरोसा देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की खामोशी निंदनीय है।
म.प्र मे सबसे अधिक प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय है जो विद्यार्थियों के शैक्षिक जीवन का आधार है। इनके बंद होने से छात्र व उनके अतिथिशिक्षक दोनो ही संकट मे हैं। वही म.प्र शासन ने कोरोना काल का मानदेय अतिथिशिक्षकों को दिया ही नही है। जिनकी सेवाएं खत्म कर दी गई है या विद्यालय न खुलने से वे बेरोजगार हैं अप्रैल 2020 के बाद से।
ऐसे मे प्रदेश के विपक्ष के नेताओं एवं प्रदेश के सत्ता दल के नेताओ को जो सत्ता मे हैं पीईबी पास डीएड, बीएड 5-10 वर्ष कार्य कर चुके अतिथिशिक्षकों के नियमितिकरण की नीति लाना चाहिए ही साथ ही जो अतिथिशिक्षक कोरोना या आर्थिक विपन्नता या अन्य परेशानी मे आत्म हत्या का अपराध कर चुके है उनके परिवार के भरण पोषण को सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि मामा मे दो बार मॉं शब्द है मामा से ममता की आश न करना बेमानी है। सादर धन्यवाद, आशीष कुमार बिरथरिया उदयपुरा जिला रायसेन म.प्र
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