पिछले लेख की धारा 129 में हमनें यह बताया था कि कोई भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट या थाने का टीआई किसी विधि विरुद्ध जमाव (उपद्रवी भीड़) को बिखेरने हल्के बल प्रयोग का आदेश दे सकता है। केवल सिविल बल द्वारा अर्थात ऐसा जमाव विधि विरुद्ध जमाव कहलाता है जिस जमाव के कारण कोई आपराधिक घटना होने वाली हो। कोई धार्मिक सभा या विधि का पालन करते हुए कोई हड़ताल, आंदोलन विधि विरुद्ध जमाव नहीं होता है। आज हम आपको बताएंगे कि विधि विरुद्ध जमाव को हटाने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग करने का आदेश कौन दे सकता है जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 130 की परिभाषा (सरल शब्द में):-
1. अगर सिविल बल द्वारा कोई विधि विरुद्ध जमाव बिखर नहीं पा रहा है और ऐसे जमाव को हटाना लोक सुरक्षा के लिए जरूरी है, तब उच्चतम पंक्ति का कार्यपालक मजिस्ट्रेट अर्थात DM (कलेक्टर/ जिलाधिकारी) जो स्वंय जमाव में उपस्थित होकर सशस्त्र बल द्वारा विधि विरुद्ध जमाव को हटवा सकता है।
2. ऐसा मजिस्ट्रेट सशस्त्र बल, सेना के अधिकारी से यह भी अपेक्षा करेगा कि वह ऐसे व्यक्ति जो जमाव से नहीं हट रहे हैं उनको गिरफ्तार कर सकते हैं या बंदी बनाकर रख सकते हैं।
3. सशस्त्र बल सेना का सैनिक या अधिकारी जैसा वह ठीक समझे बल का प्रयोग विधि के अनुसार कर सकते हैं, लेकिन वह उतने ही बल का प्रयोग करेंगे जिससे व्यक्ति को ज्यादा शारीरिक क्षति न हो एवं किसी संपत्ति को कोई नुकसान हो।
नोट:- अगर विधि विरुद्ध जमाव को बिखेरने के लिए सशस्त्र बल का कोई अधिकार ज्यादा बल का प्रयोग करता है तब उसे भारतीय दण्ड संहिता की धारा-76 के अंतर्गत बचाब नहीं मिलेगा। क्योंकि तथ्यों की भूल क्षमा हो सकती है लेकिन नियम (विधि) की भूल क्षमा योग्य नहीं है।
उधारानुसार वाद:- कर्नाटक राज्य बनाम वी. पद्धनाम बेलिया- मामले में यह अविनिर्धारित किया गया कि जब जिला सशस्त्र रिजर्व पुलिस ने बिना प्राधिकारियों के विधिपूर्ण आदेश के अवैध सभा के सदस्यों पर गोली चलाया और एक व्यक्ति की मृत्यु कर दी तो राज्य सरकार इसमे प्रतिनिहित रूप से उत्तरदायी है और सरकार को लेकर मृतक व्यक्ति के आश्रितों को प्रतिकर देना होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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