✒ शक्ति रावत। कोरोना महामारी और पैदा हालातों ने जिंदगी की कई ऐसी सच्चाईयों से लोगों का सामना करा दिया है, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं थी, यही वजह है, कि सामने भयानक समय को देखकर कई लोग बदहवास हो रहे हैं, और अपना होश भी नहीं संभाल पा रहे हैं। इसलिये आज इमोशन मैनेजमेंट के ये चार कीमती सूत्र।
आपातकाल में खुद पर काबू रखने के 4 तरीके
महान समाज सुधारक ईश्वर चंद विद्यासागर ने अपने संस्करण में एक घटना लिखी थी, वे रोज शाम को सैर पर निकलते थे, एक दिन देखा कि उनके आगे एक खानदानी अमीर व्यक्ति चल रहा है, अचानक उसका नौकर भागता हुआ आया और बताया कि हवेली में आग लग गई है। उस आदमी ने नौकर से कहा तुम चलो मैं आता हूं, और अपनी उसी चाल से चलते हुए घर पहुंचा। नौकरों से आग बुझाने को कहा, सामान बाहर निकलवाया, लेकिन उसके हावभाव में कोई अंतर नहीं आया। विद्यासागर को उस दिन पता चला कि हालात से कीमती भी कोई चीज जीवन में है, और वह है, अपना होश। लेकिन जब सामने स्थिति भयानक हो तो इन सूत्रों से खुद पर काबू रखें, और खुद को याद दिलाएं।
1- सबकुछ मेरे हाथ में नहीं है
एक बात को जिंदगी में स्वीकार कर लेना सबसे जरूरी है, कि सबकुछ आपके हाथ में नहीं है। हममें से ज्यादातर को यही भ्रम है, कि वे सब कर रहे हैं, सब उनके कंट्रोल में है, लिहाजा जब जिंदगी या हालात उलटी चाल चलते हैं, तो वे हड़बड़ा जाते हैं। इस बात को जानेंगे तो मजबूती मिलेगी।
2- जो हो सकता है, वो करेंगे
वेशक सबकुछ आपके कंट्रोल में नहीं, लेकिन इसका मतलब हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना भी नहीं है। जो हमारे हाथ में है, या इन हालातों में जो किया जा सकता है, जो हो सकता है, वो जरूर करेंगे, यानि अपनी पूरी कोशिश, और हालात को भगवान पर छोड़ देंगे, वह मुश्किल में जैसी वुद्वि देगा, वैसा काम करेंगे। नतीजा मेरे नहीं उसके हाथ में है।
3-जो होना है, होकर रहेगा
जाहिर है, हममें से कोई भी बुरा वक्त या हालात नहीं चाहता। लेकिन यह सच्चाई है, अच्छा और बुरा समय सब पर आता है, आएगा। इसलिये मेरे साथ ही ऐसा क्या वाली मानसिकता को छोड़ दें। इस सच का स्वीकार करें, कि जो होना होगा वह होकर ही रहेगा, पर हम अच्छे की आशा कर सकते हैं।
4- मेरा रिमोट मेरे हाथ में
हममें से अधिकतर को बुरे दौर का अनुभव है, कैसे लोग बौखला जाते हैं, हड़बड़ा जाते हैं, या घबरा जाते हैं। आपको खुद को सिर्फ इतना याद दिलाने की जरूरत है, कि उतार-चढ़ाव तो आएंगे, लेकिन प्रतिक्रिया देना मेरे हाथ में है। क्योंंकि ये हालात भी स्थायी नहीं हैं, फिर बदल जाएंगे, मैं फिर भी रंहूगा, जिंदगी आगे बढ़ेगी। इसलिये मेरे होशहवास का कंट्रोल हालात के नहीं बल्कि मेरे हाथ में है। ✒ लेखक मोटीवेशनल स्पीकर और लाइफ मैनेजमेंट कोच हैं।