भोपाल। नेताओं और करोड़पति कारोबारियों द्वारा संचालित प्राइवेट स्कूलों के दबाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्कूल खोलने की अनुमति तो दे दी लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया कि स्कूल में विद्यार्थी की उपस्थिति सप्ताह में केवल 1 दिन होगी। पेरेंट्स का सवाल है कि 1 दिन की कक्षा में पढ़ाई के लिए शक्तावत की फीस क्यों दी जाए। क्या सरकार ने प्राइवेट स्कूलों के खजाने भरने के लिए पेरेंट्स को लूटने का आदेश जारी किया है।
स्कूल शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के बाद एक तरफ पेरेंट्स तो दूसरी तरफ स्कूल संचालक भी नाराज हैं। स्कूल संचालकों की प्लानिंग है कि कोरोनावायरस काल से पहले की तरह स्कूलों का संचालन किया जाए ताकि विद्यार्थियों से केवल फीस ही नहीं बल्कि स्कूल यूनिफार्म से लेकर अन्य सभी प्रकार के खर्चे वसूल किए जा सके। सरकारी कागजों में कुछ भी लिखा हो लेकिन सब जानते हैं कि विद्यार्थियों की पेंसिल से लेकर स्कूल बस तक हर मामले में स्कूल संचालक या तो कारोबारी होता है या फिर उसे कमीशन का लाभ मिलता है।
सप्ताह में 1 दिन पढ़ाई से बच्चा कौन सा टॉपर हो जाएगा
नेहरू नगर निवासी पुनीत अग्रवाल का कहना है, सप्ताह में एक दिन स्कूल खुलें या फिर महीने भर खुलें, फीस तो पूरी ही देनी होगी। बच्चे की यूनिफाॅर्म से लेकर ट्रांसपोर्ट तक का खर्च बढ़ जाएगा। ऐसे में सिर्फ सप्ताह में एक दिन स्कूल भेजने से बच्चा कितना पढ़ पाएगा। वैसे भी जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक खतरा बना हुआ है। जो सरकार बाजार में वयस्क नागरिकों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करवा पा रही है वह स्कूल में बच्चों को एक दूसरे के पास आने से कैसे रोक पाएगी। इसलिए अभी स्कूल नहीं खुलना चाहिए।
पेरेंट्स की मर्जी के बिना स्कूल नहीं खोल सकते
26 जुलाई से 11वीं और 12वीं की क्लास खोलने के आदेश पिछले आदेश की काॅपी है। इससे पहले शासन ने पिछले साल सितंबर और फिर दिसंबर में स्कूल शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यह सभी नियम और गाइडलाइन उस आदेश में भी थी। नए आदेश में कुछ खास नहीं है। एक बात स्पष्ट है कि पैरंट्स की मर्जी के बिना स्कूल नहीं खोल सकते। सोशल मीडिया के माध्यम से पेरेंट्स एक दूसरे से कनेक्टेड है। वह सरकार के किसी भी आदेश का पालन करने के लिए अपने बच्चों की जान जोखिम में डालने के लिए तैयार नहीं है।
एक दिन से तो ऑनलाइन ही सही है: एनी बेसेंट स्कूल
एनी बेसेंट स्कूल के संचालक मोहित यादव ने बताया, ऑर्डर कल ही आए हैं। ऐसे में स्कूल खोलने को लेकर अभी प्लान नहीं हुआ है। क्लास के हिसाब से 50% बच्चों को बैठाएंगे। यदि कोई बच्चा पहली बेंच पर बैठा है, तो एक छोड़कर तीसरी बेंच पर दूसरे बच्चे की सीट होगी। सरकार का एक दिन स्कूल बुलाने का डिसीजन न बच्चों के हित में है और न ही स्कूल वालों के। इससे अच्छा वह ऑनलाइन ही पड़ लेगा। स्कूल बस की बात करें तो उसे संचालित करना अभी संभव नहीं होगा। उसमें भी 50% को ही लेकर आना है। ऐसे में 5-10 बच्चों को लेकर आना संभव नहीं है।
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