ग्वालियर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (उपभोक्ता फोरम) ने एक प्रकरण की सुनवाई के बाद स्पष्ट कर दिया है कि चलती ट्रेन में यदि सामान चोरी होता है तो इसके लिए हर परिस्थिति में रेलवे जिम्मेदार होगा। उसे चोरी गए सामान का मुआवजा अदा करना होगा। दरअसल, रेलवे ने दलील दी थी कि रेल यात्री ने टिकट नहीं खरीदा था बल्कि वह रेलवे द्वारा जारी किए गए फ्री पास पर सफर कर रहा था। कंजूमर फोरम ने यात्री को 5 लाख रुपए मुआवजा अदा करने का आदेश दिया है।
ट्रेन अटेंडर ने चोरों को अंदर घुसने दिया
हरिशंकरपुरम निवासी दिवाकर नाथ गुप्ता रेलवे से इंजीनियर पद से सेवानिवृत हैं। उन्हें ट्रेन में फ्री यात्रा का पास दिया है। वे अपनी पत्नी के साथ हरिद्वार गए थे। हरिद्वार से ग्वालियर आने के लिए 23 अगस्त 2017 को उत्कल एक्सप्रेस के एससी-2 की बर्थ क्रमांक 23 व 24 पर सवार हुए थे। मथुरा स्टेशन पर कोच अटेंडर ने दो व्यक्तियों को ट्रेन में बैठने की अनुमति दे दी थी। इन दोनों यात्रियों के पास यात्रा के लिए वैधानिक टिकट नहीं था। इन्हीं दोनों यात्रियों ने रास्ते में नशीला पदार्थ सुघांकर पति-पत्नी को बेहोश कर दिया और उनका सामान चोरी कर ले गए।
जीआरपी ने ना तो चोर पकड़े ना ही सामान जप्त किया
ग्वालियर स्टेशन पर उनका भतीजा दोनों को लेने आया तो वे बर्थ पर बेहोश थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। जब दोनों होश में आए तो सामान चोरी होने की जानकारी दी। उन्होंने ग्वालियर जीआरपी में केस दर्ज कराया। इस केस को मथुरा जीआरपी को भेज दिया। उन्होंने अपने सामान को पाने के लिए मथुरा जीआरपी से कई बार संपर्क किया, लेकिन जीआरपी ने असमर्थता जता दी।
रेल यात्री ने रेलवे पर ₹1000000 का जुर्माना ठोका था
इसके बाद रेलवे को भी नोटिस भेजा। जब रेलवे ने उनकी सुनवाई नहीं की तो 18 जुलाई 2019 को दंपती ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। उनकी ओर से तर्क दिया कि यात्रियों की सुरक्षा करना रेलवे की जिम्मेदारी है। अनाधिकृत व्यक्ति के प्रवेश दिए जाने से उनका सामान चोरी चला गया। इससे 10 लाख रुपये की क्षति हुई। जो दस्तावेज चोरी गए, उन्हें फिर बनवाने में काफी परेशानी भी हुई, इसलिए रेलवे से क्षतिपूर्ति दिलाई जाए। फोरम के नोटिस पर उत्तर मध्य रेलवे ने जवाब दिया।
फ्री पास वालों की सुरक्षा की गारंटी नहीं: रेलवे का तर्क
रेलवे की ओर से कहा गया कि परिवादी से यात्रा के बदले में कोई पैसा नहीं लिया है। उन्होंने फ्री यात्रा की है। घटना स्थल ग्वालियर नहीं है। जिस दिन परिवादी सफर कर रहे थे, तब कोई अनाधिकृत व्यक्ति ने सफर नहीं किया। कर्मचारियों ने पूरी ट्रेन झांसी तक चेक की थी, इसलिए परिवाद को खारिज किया जाए। वादी व प्रतिवादी के तर्कों पर विचार करने के बाद फोरम ने अपना फैसला सुनाया है। आंशिक रूप से दावे को स्वीकार करते हुए पांच लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दिए जाने का आदेश दिया है। 8 जुलाई 2019 से पांच लाख रुपये पर 7 फीसद ब्याज भी अदा करना होगा।
यह सामान गया था चोरी
- पति-पत्नी की पांच अंगूठियां, जिन पर हीरा-पुखराज आदि लगा था। सोने की चेन, चूड़ियां, बीछिया, मोबाइल, घड़ी, एटीएम अन्य दस्तावेज चोरी गए थे।
- अस्पताल में लंबे समय तक भर्ती रहे थे। इलाज में भी काफी पैसा खर्च हुआ।
- 2017 से लेकर अब तक अपने सामान के पैसे पाने के लिए संघर्ष किया।
सामान बुक नहीं कराया, तब भी सुरक्षा करना रेलवे का दायित्व
- रेलवे की ओर से तर्क दिया गया कि वादी ने अपने सामान को बुक नहीं कराया था। न सामान की सूचना दी थी। फोरम ने कहा कि भले ही यात्री ने सामान बुक नहीं कराया है, उसकी सुरक्षा करना रेलवे का दायित्व है। यात्री के सामान चोरी गए सामान की क्षतिपूर्ति दिलाने की कानून में पुष्टि की गई है।
- रेलवे ने आपत्ति ली थी कि यात्रा के बदले पैसा नहीं लिया। फोरम ने कहा कि भले ही यात्री फ्री पास दिया है लेकिन वादी ने रेलवे में सेवा दी है, उसके बदले में यह पास मिला है। दावे के साथ टिकट भी संलग्न है।
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