विभिन्न न्यायलयीन निर्णयों में प्रतिपादित निम्न सिद्धान्तों के आधार पर कर्मचारी के स्थानांतरण की वैधता का परीक्षण किया जा सकता है एवं ट्रांसफर आदेश को अनुचित या अवैध माना जा सकता है-
1)जब ट्रांसफर करने शक्तियों का न्यायपूर्ण या उचित प्रयोग नही किया गया हो।
2) स्थानांतरण से द्वेष परिलक्षित होने पर।
3) कर्मचारी के प्रशासनिक ट्रांसफर में प्रशासनिक आवश्यकता की अनुपस्थिति परिलक्षित होना।
4) बाहरी निर्देश या दबाब गया या आंतरिक उद्देश्य , कर्मचारी ट्रांसफर के पीछे परिलक्षित होना।
5) निर्धारित कार्यकाल के पूर्व ट्रांसफर का किया जाना।
6) दंड स्वरूप ट्रांसफर किया जाना।
7) किसी अन्य व्यक्ति को, पीड़ित व्यक्ति के स्थान पर प्रतिस्थापित या पदस्थ करने के उद्देश्य से, स्थानांतरण का किया जाना।
8) सक्षम अधिकारी के अतिरिक्त, अन्य किसी अधिकारी द्वारा , शक्तियों के प्रत्यायोजन के बिना, कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जाना।
9) संवर्ग के बाहर ट्रांसफर का किया जाना।
10) सेवा नियमों या किसी विशिष्ट आदेश के अतिक्रमण में (अधिनियम के रूप में) ट्रांसफर किया जाना। दूसरे शब्दों में, जहां ,सेवा नियम ट्रांसफर को प्रतिबंधित करते हों, या ट्रांसफर के परिणामस्वरूप वरिष्ठता का हनन या समाप्ति होना।
उपरोक्त जानकारी न्यायलयीन प्रकरणों के तथ्यों के आधार पर है, स्थानांतरण, सरकारी सेवा की एक आवश्यक शर्त है, जो कि नियुक्ति के समय ही कर्मचारी स्वीकार करता है। प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर, ट्रांसफर करना शासन का अधिकार है। (लेखक श्री अमित चतुर्वेदी, अधिवक्ता हैं एवं उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रैक्टिस करते हैं। )