क्या कलेक्टर कभी भी धारा 144 लगा सकता है, नियम एवं पाबंदियां क्या हैं - Crpc Section-144

Bhopal Samachar
धारा 144 के बारे में तो सभी जानते हैं। ज्यादातर यह कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी के द्वारा लगाई जाती है। आपका अनुभव रहा होगा कि जब भी कोई तनावपूर्ण स्थिति निर्मित होती है तो डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/कलेक्टर धारा 144 लगा देते हैं। प्रश्न यह है कि क्या डीएम/ जिलाधिकारी जब चाहे धारा 144 लगा सकता है, या फिर इसके अपने कोई नियम है और कलेक्टर द्वारा लगाई गई धारा 144 को चैलेंज किया जा सकता है। आइए पढ़ते हैं:-

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा -144 की परिभाषा (सरल एवं स्पष्ट शब्दों में):-

• लॉ स्टूडेंट बीआर अहिरवार बताते हैं कि जिला मजिस्ट्रेट, उपखण्ड मजिस्ट्रेट या कोई भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को लगता है किसी बाधा या आशंकित खतरे का तुरंत निवारण आवश्यक है, तब ऐसी व्यवस्था को ठीक करने के लिए जिससे आम नागरिकों को बाधा उत्पन्न हो रही है, या क्षति, क्षेम होने की संभावना है, या मानव जीवन में संकट पैदा हो रहा है या नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में है, या लोक-शांति  या बल्वे-दंगे को रोकने या निवारण के लिए मजिस्ट्रेट धारा-144 का आदेश जारी करेगा।

• इस धारा के अधीन आदेश आपात की दशाओं में अगर मजिस्ट्रेट को सूचना या तमिल करने की कोई गुंजाइश भी न हों तब यह आदेश एकपक्षीय रूप से पारित किया जा सकता है।

• मजिस्ट्रेट द्वारा जारी धारा-144 के आदेश की समयावधि दो माह से अधिक नहीं होगी लेकिन राज्य सरकार को लगता है कि स्वास्थ्य, मानव जीवन या कोई खतरे की संभावना अभी ठीक नहीं है जब तक कोई उचित व्यवस्था और न हो सके तो धारा- 144 का आदेश छः माह अतिरिक्त बढ़ सकता है अर्थात मजिस्ट्रेट के आदेश को मिलाकर 8 माह तक।

• अगर कोई व्यक्ति धारा-144 के आदेश को विखंडन या परिवर्तन करने के हटाने के लिए मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार को आवेदन करता है तब कोई भी मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार ऐसे आदेश का विखंडन या परिवर्तन अपने विवेक या आवेदक के आवेदन पर कर सकते हैं लेकिन आवेदक को स्वंय या वकील के माध्यम से मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार को बताना होगा कि वह इस आदेश को परिवर्तन या विखंडन क्यों करवाना चाहता है।

"अर्थात अगर किसी बीमारी को फैलने से रोकने के लिए धारा-144 लगाई गई है एवं बीमारी पूरी तरह कंट्रोल हो गई है लेकिन धारा-144 का आदेश लागू होने के कारण व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर इक्कठा नहीं हो पा रहे हैं तब आवेदक उपर्युक्त धारा को समाप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

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