जबलपुर। दिनांक 6 सितंबर को मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग में कार्यरत नवीन संवर्ग के शिक्षक जो कि 1998 से शिक्षाकर्मी के पद पर भर्ती हुए और तीन वर्ष की सफल परीवीक्षा अवधि के पश्चात नियमित कर दिया गया किन्तु मध्यप्रदेश सरकार ने 2007 में इनको अध्यापक संवर्ग में लिया और पदनाम बदल दिया साथ ही नियुक्ति दिनांक 1998 की ही मानकर तीन वर्ष की एक वेतन-वृद्धि मानकर वेतन निर्धारण किया।
इसके बाद आंदोलन की तीव्रता के चलते 2013 में छटवां वेतनमान चार किस्तो में दिया जो 2017 में पूर्ण होना था, इसके पहले ही अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों ने असंतोष के कारण आंदोलन की गति तेज कर दी और आनन फानन में सरकार ने 2018 में राज्य शिक्षा सेवा के गठन द्वारा अध्यापक संवर्ग को शिक्षक संवर्ग में लेकर शिक्षा विभाग में संविलियन की जगह नियुक्ति दे दी।
जिससे नाराज होकर कुछ संगठनों एवं अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में न्याय प्राप्त करने के लिए कुल 20 रिट दर्ज की जिसमें राज्य शिक्षा सेवा के गजट में प्रकाशित चार बिन्दुओं को हटाने के लिए माननीय न्यायालय को अवगत कराया जिसमें पूर्व की सेवा को लाभ देने से साफ मना कर दिया इसके बाद अध्यापक संवर्ग में लगातार असंतोष बढ़ता रहा।
इसी बीच केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 से 2009 के बीच भर्ती वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का विकल्प प्रस्तुत किया तो मध्यप्रदेश के अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों ने भी मध्यप्रदेश सरकार के सभी अधिकारियों को भी पुरानी पेंशन प्राप्त करने के लिए लगभग 15000 अध्यापकों ने आवेदन प्रस्तुत किया जिसके जवाब में लोक शिक्षण संचालनालय ने पत्र द्वारा स्पष्ट कहा कि अध्यापक संवर्ग इस पुरानी पेंशन के अधिकारी नहीं है।
इससे नाराज होकर लगभग 10,000 अध्यापक हाईकोर्ट की डबल बेंच में एवं लगभग 5000 अध्यापक सिंगल बेंच में पुरानी पेंशन प्राप्ति एवं विभिन्न विसंगतियों को दूर करने के लिए माननीय न्यायालय की शरण में है। डबल बेंच में लगी कुल 15 याचिकाओं में शिक्षाकर्मी उत्थान समिति के साथ कनेक्ट है जो अब 2018 में लगी 20 याचिकाओं के साथ सुनवाई में लगी है। जिसकी तारीख 6 सितम्बर निर्धारित है। जिसमें दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के ख्याति प्राप्त अधिवक्ता माननीय सलमान खुर्शीद, माननीय विवेकजी तन्खा, माननीय नलिन जी कोहली, माननीय विक्रमादित्य जी एवं स्थानीय प्रमुख अधिवक्ता श्री घिल्डियाल जी, श्री अमित चतुर्वेदी जी एवं श्री अर्जुन सिंह जी उपस्थित रहेंगे।
6 सितम्बर को शासन का जवाब आना है इसके बाद उपरोक्त प्रकरण शीघ्र ही बहस के बाद निर्णय की स्थिति में होगा। जिसकी उम्मीद है कि वर्षो से अन्याय सह रहे शिक्षाकर्मी से भर्ती शिक्षकों के साथ न्याय होगा और पेंशन के बाद सम्मान पूर्वक जीवन जी पायेंगे। यहां यह बताना आवश्यक है कि अध्यापक संवर्ग को NPS के दायरे में 2011 में लिया गया है जबकि इनकी नियुक्ति 1998 की है और अब यह सभी शिक्षा विभाग के कर्मचारी भी हो गये है। इसलिए 1976 पेंशन अधिनियम के अनुसार इनकी पेंशन में सेवा अवधि नियुक्ति दिनांक से ही मानी जाकर पेंशन में लाभ दिया जायेगा।
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