BHOPAL पुलिस की आंखें खराब, दूसरों की दया पर होती है इन्वेस्टिगेशन

Bhopal Samachar
भोपाल
। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पुलिस की आंखें खराब हो गई है। इन्वेस्टिगेशन के लिए दूसरों की दया पर निर्भर होना पड़ता है। पुलिस को हाईटेक बनाने के नाम पर 775 कैमरे लगाए गए थे इनमें से 310 कैमरे बंद हो गए हैं। नतीजा इन्वेस्टिगेशन के लिए पुलिस को उन प्राइवेट लोगों की दया पर निर्भर रहना पड़ता है, जिन्होंने अपने घर, दुकान या ऑफिस के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं।

भोपाल के 153 चौराहों-तिराहों पर कुल 775 कैमरे लगाए गए हैं। करोड़ों रुपए के बजट से लगे करीब 40 फीसदी कैमरे एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (एएमसी) न होने के कारण खराब हैं। इससे संपत्ति संबंधी या अन्य अपराधों का इन्वेस्टिगेशन भी प्रभावित हो रहा है। एएसपी क्राइम गोपाल धाकड़ का कहना है कि किसी भी विवेचना में सीसीटीवी कैमरे से पुलिस को इनीशियल क्लू मिलता है। इसके बाद ही अपराधियों का रूट तैयार कर पाते हैं।

2020 से बंद पड़े हैं 275 कैमरे

2012-13 में शहर के चौराहों पर कैमरे लगाने का काम पुलिस मुख्यालय की इंटेलिजेंस शाखा ने शुरू किया था। करीब सवा दो करोड़ रुपए की लागत से 275 कैमरे लगाए गए थे। बंद पड़े कैमरों में ये भी शामिल हैं। इन आउटडेटेड कैमरों का नाइट विजन भी खराब है। पुलिस सूत्रों की मानें तो ज्यादातर कैमरे भोपाल में कोरोना संक्रमण की शुरूआत यानी मार्च 2020 से ही बंद पड़े हैं। हालांकि, प्रशासन स्तर पर हुई कई बैठकों के बाद 100 कैमरे दोबारा चालू करने का निर्णय हुआ है। इसके लिए जरूरी उपकरण खरीदकर पुलिस ने मेंटेनेंस करने वाली एजेंसी को दिए हैं।

निगरानी के लिए 6300 प्राइवेट कैमरों की मदद लेनी पड़ रही है

प्रदेश में भोपाल पहला शहर है, जहां भोपाल आई प्रोजेक्ट के तहत निजी संस्थानों, मकानों या दुकानों में लगे कैमरे पुलिस के लिए मददगार साबित होते हैं। पब्लिक के कैमरों की फीड पुलिस भी अपने कंट्रोल रूम में बैठकर देख सकती है। भोपाल में अब तक 6300 निजी कैमरे भोपाल आई के तहत रजिस्टर्ड हो चुके हैं, जिनकी मदद पुलिस ले रही है।

20000 कैमरों का टारगेट है

भोपाल आई प्रोजेक्ट के तहत हम रोजाना लोगों को अपने साथ जोड़ रहे हैं। इस साल के अंत तक हमारा टारगेट ऐसे 20 हजार कैमरे करने का है। क्राइम डिटेक्शन में ये कैमरे हमारे लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं।
- इरशाद वली, डीआईजी भोपाल शहर

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