नई दिल्ली। The University Grants Commission (UGC) ने भारत के कुल 24 विश्वविद्यालय फर्जी घोषित कर दिए हैं। यानी इन विश्वविद्यालयों से की गई पढ़ाई किसी काम की नहीं है। इन विश्वविद्यालयों की डिग्री कहीं भी मान्य नहीं होगी।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। फर्जी विश्वविद्यालय यूपी, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा सहित देश के अन्य राज्यों से हैं। इस लिस्ट में सबसे ज्यादा फेक यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश में हैं। शिक्षा मंत्री ने बताया कि भारतीय शिक्षा परिषद, लखनऊ, उत्तर प्रदेश और भारतीय योजना और प्रबंधन संस्थान (आईआईपीएम), कुतुब एन्क्लेव, नई दिल्ली नामक दो और संस्थान भी यूजीसी अधिनियम, 1956 का उल्लंघन कर काम कर रहे हैं। भारतीय शिक्षा परिषद, लखनऊ और आईआईपीएम, नई दिल्ली के मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।
उत्तर प्रदेश के फर्जी विश्वविद्यालय
वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
महिला ग्राम विद्यापीठ, इलाहाबाद
गांधी हिंदी विद्यापीठ, इलाहाबाद
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो कॉम्प्लेक्स होम्योपैथी, कानपुर
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मुक्त विश्वविद्यालय, अलीगढ़
उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय, मथुरा
महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन विश्वविद्यालय, प्रतापगढ़
इंद्रप्रस्थ शिक्षा परिषद, नोएडा
दिल्ली के फर्जी विश्वविद्यालय
कमर्शियल यूनिवर्सिटी लिमिटेड
संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय
व्यावसायिक विश्वविद्यालय
एडीआर केंद्रित न्यायिक विश्वविद्यालय
भारतीय विज्ञान और इंजीनियरिंग संस्थान
विश्वकर्मा मुक्त विश्वविद्यालय
आध्यात्मिक विश्वविद्यालय
पश्चिम बंगाल के फर्जी विश्वविद्यालय
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
ओडिशा के फर्जी विश्वविद्यालय
नवभारत शिक्षा परिषद, राउरकेला, ओडिशा
नॉर्थ उड़ीसा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, ओडिशा
अन्य राज्यों में फर्जी विश्वविद्यालय
श्री बोधि एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, पुडुचेरी
क्राइस्ट न्यू टेस्टामेंट डीम्ड यूनिवर्सिटी, आंध्र प्रदेश
राजा अरबी विश्वविद्यालय, नागपुर
सेंट जॉन्स यूनिवर्सिटी, केरल
बड़गंवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसाइटी, कर्नाटक