आपने भी महसूस किया होगा जब शरीर को ठंड लगती है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं और जब डर लगता है तब भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सवाल यह है कि दो अलग-अलग परिस्थितियों में मानव शरीर एक जैसी प्रतिक्रिया क्यों करता है। ठंड और डर के बीच क्या रिश्ता है।
सर्दी में रोंगटे खड़े होने का कारण
मनुष्य का शरीर कुछ इस प्रकार से बना है कि वह परिस्थितियों का सामना करने के लिए अपने आप काम करने लगता है। जब हमें ठंड लगती है तो हमारे शरीर की त्वचा सिकुड़ने लगती है। त्वचा के भीतर होने वाले इस संकुचन के कारण रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शरीर के भीतर यह सिस्टम इसलिए एक्टिवेट होता है ताकि हम ठंड से मुकाबला कर सके। रोंगटे खड़े हो जाने पर ठंड का एहसास थोड़ा कम हो जाता है। प्राचीन काल में मनुष्यों के शरीर पर बाल थोड़े बड़े होते थे। जानवरों के शरीर पर बाल बड़े होते हैं। ठंड की स्थिति में बालों के बढ़ने से हवा की परत फैल जाती है जो इन्सुलेशन का काम करती है।
डर के कारण रोंगटे क्यों खड़े हो जाते हैं
यह प्रक्रिया धरती पर जन्म लेने वाले इंसान और जानवर दोनों के शरीर में एक समान तरीके से होती है। जब हमें डर लगता है तो हार्टबीट बढ़ जाती है। शरीर ऑटोमेटिक मोड में काम करने लगता है। रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है ताकि हमारा आकार थोड़ा बड़ा दिखाई दे। जानवरों के मामले में भी ऐसा ही होता है। इसके कारण शरीर के चारों तरफ हवा की एक लेयर बन जाती है और हम परिस्थितियों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाते हैं। प्राचीन काल में इंसान के शरीर पर जानवरों की तरह बाल होते थे। तब यह प्रक्रिया इंसानों के लिए भी काफी काम की थी।
कितनी गजब की टेक्नोलॉजी है। हमारे शरीर में छोटे-छोटे रोम (बाल) भी सर्दी की स्थिति में हमें जिंदा रखने में और खतरे की स्थिति में जान बचाने की ताकत देने के काम आते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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