जब आप बाजार में पानी की बोतल खरीदते हैं तो उसमें अक्सर 2 प्रकार का पानी होता है। एक Packaged Drinking Water और दूसरा Mineral Water. पहले प्रकार के पानी को प्रोसेस करके उसके अंदर मौजूद हानिकारक कीटाणुओं को अलग कर दिया जाता है और दूसरे पानी में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मिनरल्स मौजूद होते हैं। मिनरल वाटर की खास बात यह होती है कि वह कभी एक्सपायर नहीं होता। सवाल यह है कि फिर उसकी बोतल पर एक्सपायरी डेट क्यों लिखी होती है।
सरल शब्दों में कहें तो पानी कभी एक्सपायर नहीं होता और मिनरल वाटर तो हमेशा पीने योग्य बना रहता है परंतु फिर भी पानी की हर बोतल पर एक्सपायरी डेट लिखी होती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह एक्सपायरी डेट पानी की नहीं होती बल्कि बोतल की होती है। यानी एक्सपायरी डेट से यह पता चलता है कि इस बोतल का प्लास्टिक कितने समय तक पानी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक में एक विशेष प्रकार का केमिकल BPA पाया जाता है। यह केमिकल मनुष्य के शरीर के लिए हानिकारक होता है। पानी की बोतल पर एक्सपायरी डेट का मतलब होता है कि निर्धारित तारीख के बाद बोतल की प्लास्टिक का केमिकल पानी में घुलने लगेगा। यदि आप इस पानी को पिएंगे तो आपके शरीर में वह केमिकल भी चला जाएगा। यदि आप बोतल के एक्सपायर होने से पहले उसका पानी निकाल कर कांच की बोतल में भर लेंगे तो पानी खत्म होने तक एक्सपायर नहीं होगा।
जानकारी के लिए यह आंकड़ा भी उपयोगी है कि दुनिया के सबसे विकसित देश अमेरिका में 6 वर्ष से अधिक आयु के 93% नागरिकों के शरीर में प्लास्टिक केमिकल पाया गया है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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