आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ईसा से 1900 साल पहले अमेरिका में कोको पेड़ के बीज (जिससे चॉकलेट बनाई जाती है) करेंसी के रूप में उपयोग किए जाते थे। क्योंकि यह दुर्लभ थे इसलिए यह काफी मूल्यवान माने जाते थे। माया सभ्यता के लोग भी कोको के बीजों को मुद्रा के रूप में उपयोग किया करते थे। माया सभ्यता में कोको पेड़ की खेती प्रतिबंधित कर दी गई थी। ताकि मुद्रा का विनिमय ना हो। कहीं महंगाई ना बढ़ जाए परंतु अपना सवाल यह है कि क्या भगवान को प्रसाद में चॉकलेट चढ़ाई जा सकती है। और दुनिया की पहली चॉकलेट कहां बनी थी।
दुनिया की पहली चॉकलेट कहां बनी
अब तक अपन यह तो समझ चुके हैं कि चॉकलेट किसी केमिकल से नहीं बनती बल्कि COCOA नाम के एक पेड़ के बीजों से बनाई जाती है। कोको के बीज काफी कड़वे होते हैं। करीब 4000 साल पहले कोको के बीजों को फर्मेंट करके रोस्ट किया जाता था। फिर उसमें पानी, वनीला, शहद, मिर्च पाउडर, और अन्य स्वाद के अनुसार मसाले डाले जाते थे। इस प्रकार चॉकलेट एक ड्रिंक था जो स्वाद में काफी तीखा था। इसके तीखे स्वाद के कारण ही यह लोकप्रिय हो गया था। उस समय इसे शाही ड्रिंक कहा जाता था और केवल राज परिवार के लोग अथवा राज्य परिवार से जुड़े हुए लोग चॉकलेट ड्रिंक का सेवन करते थे। सन 1780 में स्पेन के बार्सिलोना में वह पहली मशीन बनाई गई जिसके माध्यम से कोको के बीज में से कोको बटर को अलग किया जा सका और उसमें थोड़ा दूध एवं शुगर कंटेंट मिलाकर उसकी कड़वाहट को खत्म किया गया। इस प्रकार पहली बार खाने वाली चॉकलेट बनी।
क्या भगवान को प्रसाद में चॉकलेट चढ़ा सकते हैं
चॉकलेट एक पेड़ से बनती है अतः इसमें किसी प्रकार का केमिकल नहीं होता।
चॉकलेट में बादाम होते हैं, दूध होता है और कई प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक तत्व होते हैं।
चॉकलेट का सेवन करने से तनाव कम होता है।
अत: आयुर्वेद अथवा वनस्पति शास्त्र के अनुसार चॉकलेट को प्रसाद के रूप में भगवान के समक्ष प्रस्तुत करने में कोई बुराई नहीं है। और फिर भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं बताया है कि:-
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः॥
अर्थात जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्धबुद्धि निष्काम प्रेमी भक्त का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुणरूप से प्रकट होकर प्रीतिसहित सेवन करता हूँ॥ भारत में अपने इष्ट देव को प्रसाद के रूप में उनका पसंदीदा भोजन अर्पित करने की परंपरा है। केरल में थेक्कन पलानी बालसुब्रमण्यम नाम का एक मंदिर है जहां भगवान मुरुगन को प्रसाद के रूप में चॉकलेट चढ़ाई जाती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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