हजारों करोड़ के मून मिशन से आम नागरिकों को क्या फायदा हुआ - GK in Hindi

Bhopal Samachar
जब पहली बार इंसान ने चंद्रमा पर कदम रखा तो आलोचकों ने इसे एक झूठा पब्लिसिटी स्टंट बताया। वैज्ञानिकों को यह सिद्ध करने में काफी मुश्किल हुई कि वह सचमुच चंद्रमा तक पहुंच गए हैं। फिर कई विद्वानों ने कहा कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने की फिलहाल कोई आवश्यकता नहीं थी। जबकि दुनिया में करोड़ों लोगों के पास भोजन नहीं है, शिक्षा नहीं है, चिकित्सा नहीं है, तब इस प्रकार के अंतरिक्ष अभियानों में इतनी बड़ी रकम खर्च करना उचित नहीं है। जब यह सवाल आए, तब इनका जवाब भी सूचीबद्ध किया गया। आइए बताते हैं:- 

अंतरिक्ष अभियान का आम नागरिकों को पहला फायदा

अमेरिका के अपोलो मिशन की शुरुआत 1961 में हुई थी। जब पहली बार इंसान चंद्रमा की तरफ बढ़ा दो एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा और वह थी वाइब्रेशन। इस समस्या के निदान के लिए शॉक ऑब्जर्वर का आविष्कार किया गया। जरा सोचिए यदि वाइब्रेशन की समस्या ना आती और शॉक ऑब्जर्वर का अविष्कार ना किया जाता तो क्या दुनिया में ऊंची-ऊंची गगनचुंबी इमारतें बन पातीं। क्या रेलवे के पुल और रेल की पटरी इस प्रकार की होती जैसे कि आज है। शॉक ऑब्जर्वर के कारण ही तो रेल की स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटा हो पाती है।

अंतरिक्ष अभियान का आम नागरिकों को दूसरा सीधा फायदा

जब एस्ट्रोनॉट पृथ्वी से चंद्रमा की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे थे तो एक बड़ी चुनौती यह थी कि कैसे पता लगाया जाएगा उनका स्वास्थ्य ठीक है या नहीं। इस समस्या के समाधान के लिए हेल्थ मॉनिटर बनाए गए। जरा सोचिए यदि एस्ट्रोनॉट की सुविधा के लिए हेल्थ मॉनिटर नहीं बनाए जाते हैं तो क्या अस्पतालों में आईसीयू बन पाते। क्या डॉक्टर बिना हेल्थ मॉनिटर की मदद की, लोगों की जान बचाने में इतने कामयाब हो पाते। यहां याद रखना होगा कि 1961 में करोड़ों लोग मच्छर के काटने से मर जाते थे।

अंतरिक्ष अभियान का आम नागरिकों को तीसरा फायदा 

चंद्रमा पर अंतरिक्ष वैज्ञानिकों एवं रॉकेट को रेडिएशन से बचाने के लिए रेडियंट बैरियर इनसुलेशन का इस्तेमाल किया गया। यदि रेडियंट बैरियर इनसुलेशन का अंतरिक्ष अभियान में प्रयोग नहीं किया जाता तो धरती पर फायरफाइटर्स कभी जलती हुई आग के अंदर घुसकर किसी को जिंदा बाहर नहीं निकाल पाते। आग बुझाने वाला विशेष दस्ता जिस पॉलीमर फाइबर से बनाए गए कपड़े पहनता है, उसका प्रयोग भी एस्ट्रोनॉट ने ही किया था।

अंतरिक्ष अभियान का आम नागरिकों को चौथा फायदा 

जब कभी भयानक बाढ़ आती है तो आपने देखा होगा डिजास्टर रिस्पांस फोर्स एक खास किस्म की बोट का उपयोग करती है। जिसका रंग नारंगी यानी ऑरेंज होता है। जिसमें हवा भरी होती है। इनफ्लेटेबल राफ्ट्स कहा जाता है। यह विशेष प्रकार की नाव भी अमेरिका के अंतरिक्ष मिशन अपोलो के लिए बनाई गई थी। 

अंतरिक्ष अभियान का आम नागरिकों को चौथा फायदा 

आजकल जब किसी के कान खराब हो जाते हैं, उसे ठीक से सुनाई नहीं देता तब डॉक्टर हियरिंग ऐड्स लगाने की सलाह देते हैं और हियरिंग ऐड्स लगाते ही उसकी सुनने की क्षमता फिर से बढ़ जाती है। ऐसा हमेशा से नहीं होता था। यह मशीन बहरे लोगों को सुनने की क्षमता प्रदान करने के लिए नहीं बनाई गई थी बल्कि अपोलो मिशन के दौरान एस्ट्रोनॉट की सुनने की क्षमता को बढ़ाने के लिए बनाई गई थी। जिसका उपयोग लोगों के स्वास्थ्य के लिए किया जा रहा है। 

ऐसे और भी बहुत सारे फायदे हैं। हर अविष्कार, चाहे वह सफल हो अथवा विफल हो जाए, मानव प्रजाति को कोई ना कोई लाभ जरूर देता है। इसलिए हर प्रकार के खर्चे को गरीबों के भोजन से जोड़ना, या बीमार लोगों के इलाज से जोड़ना उचित नहीं है। मनुष्य प्रजाति के विकास के लिए अनुसंधान और अविष्कार अनिवार्य है। इसलिए प्राचीन काल में बड़े-बड़े राजा ऋषि-मुनियों को धन देने में कभी मना नहीं करते थे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

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