मच्छर इंसान की सबसे बड़ी समस्या है। पिछले 12 करोड साल से मच्छर, इंसानों का खून चूसता आ रहा है और इंसान, मच्छरों से बचने का तरीका ढूंढते आ रहे हैं। सबसे अजीब बात यह है कि जब हम घने अंधेरे में होते हैं तब भी मच्छर हमें ढूंढ लेते हैं। सवाल यह है कि मच्छरों को हमारी लोकेशन कैसे मिल जाती है। क्या उनकी आंखों में कुछ खास किस्म की तकनीकी होती है।
मच्छर की आंखों की विशेष बातें
मच्छरों की दो मिश्रित आंखें उनके सिर के किनारों पर स्थित होती हैं। ये आंखें ओमेटिडिया नामक विशेष लेंस से ढकी होती हैं। मच्छरों के सिर के शीर्ष पर ओसेली नामक सरल प्रकाश संवेदनशील आंखें भी होती हैं। ये आंखें प्रकाश में परिवर्तन का पता लगाती हैं। एक मच्छर लगभग 32 फीट की दूरी से किसी भी चीज को देख सकता है परंतु इंसानों की तरह अंधेरे में मच्छर भी नहीं देख सकता। यानी मच्छर की आंखों में ऐसी कोई विशेष बात नहीं होती जो उसे अंधेरे में दूर तक देखने के काबिल बना सके।
अंधेरे में मियां मच्छर को इंसानों की लोकेशन कैसे मिलती है
दरअसल, मादा मच्छर इंसानों की तलाश करने के लिए अपनी आंखों का नहीं बल्कि नाक का इस्तेमाल करती है। मच्छर की सबसे खास बात होती है कि वह इंसानों की सांसो से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस को लगभग 75 फुट की दूरी से पहचान लेती है। इसके अतिरिक्त, पसीने में निहित लैक्टिक एसिड, यूरिक एसिड और अमोनिया के साथ-साथ अन्य सुगंध जैसे परफ्यूम और कोलोन मच्छरों को आकर्षित करते हैं। अंधेरे में मच्छर गंध की दिशा में आगे बढ़ते हैं और इस प्रकार बड़ी आसानी से इंसानों को ढूंढ लेते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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