शराब और पानी दोनों ही तरल पदार्थ है और दोनों के बीच बड़ी पक्की दोस्ती है। शराब और पानी एक दूसरे के साथ ऐसे घुलमिल जाते हैं जैसे एक दूसरे के लिए बने हों। जबकि तेल और पानी के रिश्तो में दरार साफ दिखाई देती है। सवाल यह है कि जब शराब और पानी दोनों एक जैसे हैं तो फिर शराब में आग क्यों लग जाती है, पानी में आग क्यों नहीं लगती। आइए पता लगाते हैं:-
पानी में आग क्यों नहीं लगती, वैज्ञानिक कारण
सबसे पहले अपन पानी की बात कर लेते हैं। आग और पानी दोनों के बीच पड़ोसन जैसी दुश्मनी है। पानी में आग लगती नहीं है बल्कि पानी से आग बुझ जाती है। विज्ञान के शब्दों में कहेंगे तो काफी टिपिकल हो जाएगा लेकिन सरल हिंदी में बताएं तो सारा खेल 'कैलोरिफिक वैल्यू' का है। हिंदी में इसे 'दहन ऊष्मा' कहते हैं। अपने अपने तरीके से समझे तो इसे 'गर्मी' कह सकती है। पानी मे कोई कैलोरिफिक वैल्यू नहीं होती हैं। इसीलिए पानी की तासीर ठंडी होती है। यही कारण है कि पानी में आग नहीं लगती।
शराब में ऐसा क्या है जो उसमें आग लग जाती है
भले ही शराब की पानी से कितनी भी पक्की दोस्ती हो परंतु शराब की अपनी खास बात होती है और वह यह है कि शराब में अल्कोहल होता है। शायद आपके लिए नई जानकारी है कि अल्कोहल तरल पदार्थ नहीं बल्कि वाष्प है। जब आप आग लगाते हैं तो शराब में मौजूद तरल पदार्थ नहीं जलता बल्कि अल्कोहल जलता है। इसीलिए शराब की आग लहराती हुई सी दिखाई देती है। यही कारण है कि अल्कोहल का उपयोग ड्राई क्लीनिंग के लिए किया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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