दूध से बनने वाले उत्पादों में केवल घी ही एक ऐसा पदार्थ है जो ज्वलनशील होता है। जबकि दूध अथवा पनीर अग्नि के शत्रु हैं। यदि आप आग में दूध डाल देंगे तो आग बुझ जाएगी। सवाल यह है कि जब दूध में आग नहीं लगती तो फिर दूध से बने घी में आग क्यों लग जाती है। आइए पता लगाते हैं:-
घी में आग लगने का वैज्ञानिक कारण
यह तो अपन जानते ही हैं कि किसी भी पदार्थ में आग का लगना या ना लगना उसकी 'कैलोरिफिक वैल्यू' पर डिपेंड करता है। जिस पदार्थ में कैलोरीफिक वैल्यू नहीं होती उसमें आग नहीं लगती। पानी में कैलोरीफिक वैल्यू नहीं होती लेकिन घी में हाई स्मोक पॉइंट होता है क्योंकि घी में पानी नहीं होता है। जब हम दूध से मक्खन बनाते हैं तो उसमें मौजूद पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है। घी के अंदर कार्बोनिल्स, मुक्त फैटी एसिड, लैक्टोन और अल्कोहल की मात्रा पाई जाती है। यही कारण है कि घी में आग लग जाती है जबकि दूध में आग नहीं लगती।
यज्ञ-हवन में घी का प्रयोग क्यों किया जाता है
यज्ञ अथवा हवन में अग्नि को प्रज्वलित करने के लिए कपूर का उपयोग किया जाता है। कपूर अत्यंत ज्वलनशील है और अग्नि को प्रवाहित करने में पूरी तरह से सक्षम है बावजूद इसके यज्ञ अथवा हवन में गाय के घी का प्रयोग किया जाता है। दरअसल हवन सामग्री में गाय के घी को शामिल किया जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि बासमती चावल के साथ मिलकर गाय का घी इथिलीन आक्साइड और फाममोल्डिहाइड नामक यौगिक गैस उत्सर्जित करता है। यह गैस जीवाणु रोधक होती है यानी वातावरण में मौजूद सभी प्रकार के वायरस को खत्म कर देती है। यही एकमात्र कारण है कि यज्ञ अथवा हवन में सामग्री के साथ गाय के घी का प्रयोग किया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
मजेदार जानकारियों से भरे कुछ लेख जो पसंद किए जा रहे हैं
(general knowledge in hindi, gk questions, gk questions in hindi, gk in hindi, general knowledge questions with answers, gk questions for kids, ) :- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com