श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पौधारोपण करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से पितृदोष सिर्फ मुक्ति प्राप्त होती है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष है, पौधारोपण करने से कालसर्प दोष की वार्षिक शांति होती है। इस दिन मनोकामना पूर्ति एवं ग्रह शांति के लिए के लिए भी पौधारोपण किया जाता है।
हरियाली अमावस्या- कल्याणकारी सर्वार्थसिद्धि योग तथा रवि पुष्य योग
ग्वालियर के प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य पं. गौरव उपाध्याय के अनुसार इस बार हरियाली अमावस्या का प्रारंभ 7 अगस्त को शाम 7:11 बजे होगा तथा हरियाली अमावस्या का समापन 8 अगस्त को शाम 7:19 बजे होगा। अतः हरियाली अमावस्या 8 अगस्त को ही मनाई जाएगी। दिनांक 8 अगस्त को सर्वार्थसिद्धि योग तथा रवि पुष्य योग भी बन रहा है।
पितृदोष की शांति के लिए पौधारोपण करें
अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। हरियाली अमावस्या के दिन मुख्यतः पीपल व तुलसी की पूजा की जाती है। पीपल के अग्रभाग में भगवान ब्रह्मा ,मध्य भाग में शिव जी तथा जड़ में विष्णु जी का निवास माना जाता है।
किस पौधे को लगाने से क्या फल प्राप्त होता है
हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण का विधान होता है। भारतीय धर्मों में एक वृक्ष को सौ पुत्रों के समान माना गया है। हरियाली अमावस्या के दिन पितरों की संतुष्टि के लिए पेड़ लगाने का विधान होता है।
आंवला और तुलसी में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है।
बेल, बरगद में भगवान शिव का निवास माना जाता है।
कमल में महालक्ष्मी का निवास माना जाता है।
जामुन का फल धन दिलाता है।
बरगद का पेड़ ज्ञान में वृद्धि करता है।
पाकड़ का पेड़ लगाने से सुयोग्य पत्नी प्राप्त होती है।
बबूल- पापों का नाश करता है।
अशोक को शोक मिटाने वाला वृक्ष माना जाता है।
तेंदू का वृक्ष कुल में वृद्धि करता है।
ग्रहों की शांति के लिए कौन सा पेड़ लगाएं
सूर्य-आक,चंद्र- पलाश, मंगल- ख़ादिर, बुध- दूव, बृहस्पति-केला, शुक्र- गूलर, शनि- शमी का पौधा लगाए।