भगवान ने किसी को एवरेज पैदा नहीं किया। हर किसी के लिए एक शिखर आरक्षित है लेकिन ज्यादातर लोग अपनी किस्मत में आरक्षित टॉप पोजीशन को देख ही नहीं पाते। हरियाणा का हिमांशु नागपाल एक ऐसा ही स्टूडेंट था। कक्षा 12th हिंदी मीडियम में वह एक एवरेज स्टूडेंट था लेकिन जब एक एक्सीडेंट में पिता का निधन हुआ तब हिमांशु को वह शिखर दिखाई दिया, जो उसके पिता उसे दिखाना चाहते थे। बस फिर क्या था, हरियाणा का एवरेज स्टूडेंट यूपीएससी का टॉपर बन गया। फर्स्ट चांस में 26 रैंक हासिल की और भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी बन गया।
पिता बेहद प्यार करते थे, सफलता के शिखर पर देखना चाहते थे
ज्यादातर स्टूडेंट्स की तरह हिमांशु नागपाल भी एक एवरेज स्टूडेंट था। पढ़ाई के अलावा दूसरी एक्टिविटीज में उसकी रूचि ज्यादा थी, लेकिन उसके पिता हमेशा उसे सफलता के शिखर पर देखना चाहते थे। उनकी आंखों में एक सपना था। हिमांशु नागपाल की 12वीं की मार्कशीट भी उनका सपना तोड़ नहीं पाई थी। जब कॉलेज में एडमिशन हुआ तो पिता खुद हिमांशु को छोड़ने के लिए कॉलेज तक आए। यहां टॉपर्स की लिस्ट देखकर उन्होंने हिमांशु से सिर्फ इतना कहा कि, इस लिस्ट में मैं तुम्हारा नाम देखना चाहता हूं।
हिमांशु को छोड़कर वापस जाते समय पिता का एक्सीडेंट हो गया और उनकी मृत्यु हो गई। कुछ समय बाद हिमांशु के बड़े भाई की भी मृत्यु हो गई। किसी भी युवक के लिए यह सबसे मुश्किल समय होता है। वह सब कुछ छोड़-छाड़ कर जीवन यापन के लिए न्यूनतम सुरक्षित करने के लिए अधिकतम संघर्ष करने लगता है। लेकिन हिमांशु के चाचा ने उसके संघर्ष को एक नई दिशा दी। इस दिशा में हिमांशु आगे बढ़ा तो फिर उसने मुड़कर नहीं देखा। पहले ही प्रयास में उसने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 26वी रैंक हासिल की है। हिमांशु ने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया। उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
MORAL OF THE STORY
भगवान किसी भी बच्चे के साथ पक्षपात नहीं करते। सबके अंदर उनकी एक स्पेशलिटी होती है। ज्यादातर लोग इसे नहीं पहचान पाते। इसीलिए एवरेज लाइफ जीते हैं। हिमांशु के पिता ने शायद इसे पहचान लिया था, इसलिए उन्होंने हिमांशु के लिए वह सपना चुना, जिसे वह पूरा कर सकता था। बड़ी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलना, या बड़ी कंपनी में नौकरी बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात है कि अपने लिए सही स्ट्रीम का चुनाव कर लेना।
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