भगवान श्री कृष्ण के अनेक रूप हैं। वह अपने भक्तों के बीच साक्षात विद्यमान है। भिन्न-भिन्न रूपों में आकर भक्तों को अपने अस्तित्व का एहसास दिलाते हैं और यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके कर्मों का जो भी फल उन्हें प्राप्त हो रहा है, वह उनके हित में ही है। जबलपुर जिले की पटोरी गांव में लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया सरपंच कोई भी हो परंतु गांव के जमीदार भगवान श्रीकृष्ण है। ग्रामीण उन्हें अपने रक्षक की तरह सम्मान करते हैं और उनके आशीर्वाद के बिना गांव में कोई शुभ कार्य नहीं होता। या गांव जबलपुर जिला मुख्यालय से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर है।
द्रौपदी बाई मिश्राइन ने सन 1923 में बनवाया था श्री राधा कृष्ण का मंदिर
मझौली तहसील के पटोरी गांव में 1923 में इस भव्य राधा-कृष्ण मंदिर का निर्माण द्रौपदी बाई मिश्राइन ने कराया था। मंदिर का संचालन विधिवत हो, इसके लिए उन्होंने अपनी निजी जमीन मंदिर में लगा दी। उन्होंने भगवान कृष्ण को गांव का जमींदार बनाया। तब से लेकर अब तक भगवान कृष्ण ही गांव के जमींदार हैं। इसके अलावा इसी मंदिर की एक शाखा मुरैठ गांव में भी है, जहां भगवान श्रीराम का मंदिर है। इस मंदिर में भी करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन लगी हुई है। दोनों ट्रस्टों का संचालन एक साथ किया जाता है।
हर घर से श्री कृष्ण के लिए निमंत्रण आता है
पटोरी गांव में कोई भी आयोजन हो, तो सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण को ही निमंत्रण दिया जाता है। मंदिर के पुजारी संत कुमार मिश्रा बताते हैं कि ग्रामीण मंदिर में निमंत्रण कार्ड भेजते हैं। यह परंपरा करीब 96 वर्षों से चली आ रही है। गांव में भोज होने की स्थिति में भी मंदिर में भगवान को निमंत्रण दिया जाता है। ऐसे अवसर पर मंदिर के पुजारी भगवान की ओर से भोज में शामिल होते हैं।
बिना अनुमति के बारात रवाना नहीं होती
गांव में किसी भी युवक की शादी हो तो बारात रवाना होने से पहले मंदिर पहुंचती है। दूल्हा यहां आशीर्वाद लेकर ही निकलता है। वहीं, दुल्हन आने पर वर-वधु दोनों श्रीकृष्ण और राधा रानी का अशीर्वाद लेने मंदिर आते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक गांव में भगवान कृष्ण और राधारानी की कृपा है।
ऐसे मनाते हैं जन्म दिवस
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भादों की अष्टमी को हर साल मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भगवान को झूले पर बिठा कर झुलाते हैं। मुहूर्त पर ही यहां जन्मोत्सव मनाया जाता है। मध्य रात्रि तक ग्रामीण यहां भजन-कीर्तन करते हैं। जैसे ही भगवान का जन्म होता है लोग खुशी से झूम उठते हैं और एक दूसरे को गले लगा कर शुभकामनाएं देते हैं। सोमवार को भी मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है। सुबह से ही ग्रामीण यहां दर्शन करने को पहुंच रहे हैं।
1923 में कराया था तुलसी-शालिग्राम विवाह
राधा-कृष्ण मंदिर की नींव रखने वाली मझौली की द्रौपदी बाई मिश्राइन पति गंगा प्रसाद मिश्रा की कोई संतान नहीं थी। इसके लिए इस दंपती ने हर धार्मिक प्रयास किए। 1923 में मिश्रा दंपती ने कटंगी में भव्य तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराया। इसमें देश भर के साधु संत शामिल हुए। इसके बाद गजदान भी किया। मझौली तहसील में एक राम मंदिर भी है जिसके नाम पर 1 हजार एकड़ जमीन है। इस मंदिर का भी निर्माण मिश्रा दंपती ने कराया था। इसके बाद परिवार बढ़ा।