श्रावण मास की पंचमी तिथि नाग पंचमी कहा जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा का विधान है। यही वह अवसर है जब कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति अपने घर बैठे सरल उपाय करके कालसर्प दोष से आगामी 1 वर्ष के लिए मुक्ति प्राप्त कर सकता है। नाग पंचमी का दिन शास्त्रों में कालसर्प दोष की शांति के लिए सर्वोत्तम दिन माना गया है।
कालसर्प दोष से क्या प्रभाव पड़ता है
काल सर्प योग विशेषज्ञ डा पंडित गणेश शर्मा के अनुसार जब जन्म कुंडली में सम्पूर्ण ग्रह राहु और केतु ग्रह के बीच स्थित हों तो ऐसी स्थिति को कालसर्प दोष का नाम देते हैं। यह स्थिति जातक के शुभ एवं अशुभ दोनों प्रकार के फलों में वृद्धि करती है। यदि जातक की कुंडली में अन्य ग्रह शुभ फलदाई है तब कालसर्प योग बन जाता है और शुभ फल को वृद्धि प्रदान करता है लेकिन यदि जन्मपत्रिका में अन्य ग्रह अशुभ स्थिति में है तो कालसर्प दोष बन जाता है और अशुभ फल में वृद्धि करता है।
नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष की शांति के लिए क्या करें
चांदी के नाग नागिन का जोड़ा किसी भी प्राचीन शिवलिंग पर अर्पित करें।
चांदी के नाग नागिन का जोड़ा किसी पवित्र नदी के जल में प्रवाहित करें।
सपेरे से नाग नागिन के जोड़े को मुक्त कराएं।
घर की दीवार पर कोयले से नाग देवता का चित्र बनाकर पूजा करें।
दाल बाटी एवं लड्डू बनाकर नाग देवता को भोग लगाएं।
रात्रि के समय घर के बाहर नाग देवता के लिए दूध रखें।