आदरणीय APC (कृषि उत्पादन आयुक्त) महोदय, जैसा की विदित है कि मध्य प्रदेश में बीज उत्पादन की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए बीज प्रमाणीकरण संस्था का गठन किया गया था किन्तु राजनीतिक और आर्थिक दबाब के कारण प्रमाणीकरण संस्था अपने उदेश्यों को पूरा नहीं कर पा रही है जिसका खामियाजा किसानों को अमानक बीज के रूप में उठाना पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश में सोयाबीन के मात्र 10 किसानों का बीज उत्पादन कार्यक्रम संस्था नियम अनुरूप नहीं दिखा सकती है जिसमे पौधे से पौधे की दूरी, पंक्ति से पंक्ति की दूरी और तकनीकी बिन्दुओं का ख्याल रखा गया हो। बीज उत्पादन में निम्न त्रुटियां हैं।
1. सोर्स सीड का वेरिफिकेशन संस्थाओं के वेयर हाउस पर हुए जबकि प्रत्येक जिले पर होना चाहिए था ,क्या कोई किसान एक कुंटल बीज 100 किलोमीटर तक ले जायेगा ?
2. फसल बुवाई के 50 दिन होने के बाद भी पहला निरिक्षण नहीं हुआ। जबकि पुष्प अवस्था पर निरीक्षण होना चाहिए था।
3. प्रथम निरीक्षण के बाद निरीक्षण की पावती किसानों को दिया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए किन्तु किसानों को नहीं दी जा रही है।
4. पूरे प्रदेश में बीज उत्पादक किसानो के कुल रकबे का 99.99% एरिया प्रमाणीकरण संस्था द्वारा सोयाबीन के लिए दर्शाया गया। जबकि 50% किसान दो फ़सलो की खेती करते है मतलब बीज का उत्पादन सही नही है।
5. मध्य प्रदेश में किसानों द्वारा 110 किलो से 130 किलो प्रति हेक्टर. बीज बुबाई हेतु उपयोग किया जाता है किन्तु प्रमाणीकरण संस्था 70-75 किलो प्रति हेक्टर. बीज बुबाई दर्शा रहा है मतलब साफ़ है की किसान और संस्था के आंकड़ो में अंतर है फिर वास्तविक वितरित बीज और रकबे में अंतर आएगा तो फिर कैसे बीज उत्पादन हो रहा है ?
6. बहुत से किसानों के नाम 20 साल से बीज उत्पादन कार्यक्रम दर्शाया जा रहा है मगर उन किसानों को आज तक बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बनाया जा सका क्योकि यह कार्य कागजो पर हुआ है।
7. पिछले बर्षो में मध्य प्रदेश में किसानो को सोयाबीन का उत्पादन नहीं मिला फिर भी बीज प्रमाणीकरण संस्था ने 16 कुं प्रति हेक्ट तक अनुमानित उत्पादन दर्शया और उतना ही उत्पादन सभी किसानो के यहा हुआ है और प्रमाणित हुआ मतलब किसी भी किसान पर प्रकृति की मार का प्रभाव नहीं पड़ा ?
8. बीज प्रमाणीकरण संस्था ऑनलाइन है किन्तु पंजीकृत किसानों की सूची ऑनलाइन नहीं दर्शाई जाती है यदि संस्था का कार्य सही है तो फिर क्यों छुपाया जा रहा है।
आदरणीय मेरा आपसे आग्रह है की मध्य प्रदेश में बीज की गुणवत्ता सुधारने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है अन्यथा आने वाले सालो में मध्य प्रदेश से सोयाबीन की फ़सल ख़त्म हो जाएगी।
1. बीज उत्पादक किसानों की पटवारी द्वारा की गई गिरदावरी से मिलान कराया जाए।
2. ग्राम सेवक और किसान मित्रों को सूचि देकर फिल्ड निरिक्षण किया जाये।
3. सभी पंचायतो पर बीज उत्पादक किसानों की लिस्ट चस्पा की जाए ताकि गांव में खबर रहे की बीज उत्पादन कार्यक्रम हो रहा है।
4. किसानों के खातों शत प्रतिशत भुगतान की राशी ट्रान्सफर की जाए।
5. प्रत्येक गाँव में एक फिल्ड प्रदर्शन का कार्य किया जाए।
6. बीज उत्पादक किसानों के खेतों पहचान हेतु तख्तिया लगाई जाए।
मेरा सभी गणमान्य पत्रकार बंधुओ से आग्रह है की आप भी कम से कम एक–एक किसानों से चर्चा करें ताकि जमीनी हकीकत और अमानक बीज उत्पादन की प्रक्रिया की जानकारी आपको स्पस्ट हो सके। पत्र लेखक: केदार शंकर सिरोही
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