कहा जा रहा है कि प्रायवेट स्कूलों से हर स्तर पर मुकाबला करने सीएम राईज स्कूल की अवधारणा सामने आई है। इसके पहले भी शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अनेक प्रयोग शासन द्वारा किए गये जैसे बहुउद्देशीय शाला, खेल परिसर, माॅडल स्कूल, उत्कृष्ट विद्यालय, संकुल शालाए आदि। जहां पर कभी शासन को अपेक्षित सफलता नही मिली।
इन सब प्रयोगों में एक बात समान रही है कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले शिक्षकों से शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए पहले कोई विचार-विमर्श नही किया गया। सीधे शिक्षकों के मत्थे मढ़ दिया गया। सभी योजनाए वातानुकूलित कमरों में बैठकर कल्पनाओ के आधार पर विकसित हुई है। जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग होती है।
बोर्ड परीक्षाओ में विगत एक दशक के परीक्षा परिणाम सच का आईना दिखाते है कि बाहरी साज-सज्जा प्रायवेट स्कूलो की कितनी ही आकर्षक क्यों न हो लेकिन शैक्षणिक गुणवत्ता के मामले में सरकारी स्कूलो के मुकाबले वे अभी भी बहुत पीछे है। वह भी तब जब सरकारी स्कूल के शिक्षकों से पढाने के अलावा बारहो महीने बहुउद्देशीय कर्मचारी का काम शासन द्वारा लिया जाता है।
प्रायवेट स्कूल और सरकारी स्कूल में बडा अंतर अधोसंरचना, विषयवार शिक्षक, सहायक गतिविधिवार शिक्षक, भृत्य, लिपिक, आया आदि और सुविधाओ का है जिसकी शून्यता को भरने का सरकारी स्कूलो में कभी भी गंभीर प्रयास नही किया गया। बल्कि गंभीर प्रयास इस बात के अधिक हुए की आरटीई के अंतर्गत निःशुल्क शिक्षा के नाम पर सरकारी स्कूलों से बच्चे कैसे कम किए जाए? प्रायवेट स्कूलो में निःशुल्क शिक्षा के नाम पर प्रवेश लेने वाले बच्चे आर्थिक शोषण की शुरुआत होते ही कक्षा नवमी से भाग-भागकर सरकारी स्कूलो में आ जाते है। प्रदेश के सरकारी हाईस्कूल और हायर सेकंडरी शालाओ में छात्र संख्या के मान से विषयवार शिक्षको की कमी का रोना हमेशा का रहा है।अधिकांश शालाओं ने भृत्य और लिपिक के दर्शन कभी किए ही नही है। अधोसंरचना भी इन शालाओ की छिन्न-भिन्न है।
नई सीएम राईज स्कूल योजना एक नया प्रयोग है। जिसकी अधोसंरचना में ही कम से कम 5 वर्ष लगना है लेकिन स्कूल अभी से चालू हो जायेगे। मतलब साफ है पहले से संचालित किसी शाला को नवीन नामकरण कर कामचलाऊ व्यवस्था बनाई जाएगी। जो विद्यार्थियो का प्रारंभिक मोहभंग करने के लिए काफी होगी।
शासन की ओर से कहा जा रहा है कि सीएम राईज खुलने पर सरकारी स्कूलो और कर्मचारियो पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही पडेगा। शिक्षक कर्मचारियो में आशंका है कि सीएम राईज स्कूल शुरू होने से कई सरकारी स्कूल बंद या समायोजित हो जाएगे और भविष्य में कर्मचारियो की छटनी का दौर प्रारम्भ हो सकता है? सबसे अधिक रोजगार देने वाले शिक्षा विभाग में भर्तियो बंद हो जाएगी और प्रदेश में बेरोजगारी में ईजाफा होगा।
अंत में सीएम राईज स्कूल योजना कितनी ही आकर्षक क्यों न हो को एक उदाहरण से समझ लेते है। माना की एक छोटा नगर जहां सरकारी 15 प्राथमिक शालाए, 8 माध्यमिक शालाए और 2 हाईस्कूल और 1 सेकण्डरी शाला संचालित है।सीएम राईज स्कूल अवधारणा के अनुसार इन सब को एक ही परिसर में समायोजित कर दिया जाएगा।
ऐसी स्थिति में छात्र अनुपात में शिक्षक या कर्मचारी अधिक होगे जो स्वभाविक है उनका क्या होगा? सीएम राईज स्कूल परिसर से दूरस्थ स्थानों पर उसी नगर में प्रायवेट स्कूलों की बाढ़ आयेगी क्योंकि शासन ने प्रायवेट स्कूल खोलने की अनुमति पर प्रतिबंध का कोई प्रावधान नही किया है। ऐसे स्थिति में पालकों के लिए अपने बच्चो को निवास स्थान से निकटतम शाला में प्रवेश दिलवाना ज्यादा सुविधाजनक रहता है भले ही वह प्रायवेट शाला ही क्यों न हो?
ऐसे स्थिति में सीएम राईस स्कूल की छात्र संख्या में भविष्य में धीरे-धीरे गिरावट आना प्रारंभ हो जायेगी जिसका सीधा असर कर्मचारियों पर होगा। यह स्थिति प्रथम चरण में सीएम राईज स्कूल खुलने के साथ उत्पन्न हो रही है जिसका अधिकांश क्षेत्र नगरीय है। सीएम राईज स्कूल के द्वितीय और तृतीय चरण की योजना गांवो और कस्बों पर लागू होगी जहां नगरीय क्षेत्र से भी अधिक व्यवहारिक परेशानिया खडी होगी।
रमेश पाटिल
प्रांतीय कार्यकारी संयोजक
अध्यापक संघर्ष समिति, मध्यप्रदेश
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