ग्वालियर। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के जौरा पुलिस थाने के थाना प्रभारी मंगल सिंह पपोला पर आरोप है कि उन्होंने सेठ मोहित सिंघल को खुश करने के लिए दो निर्दोष लड़कों को चोर बताकर गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। चोरी साबित करने के लिए टीआई नहीं बाजार से सामान खरीद कर, उसे जप्त करना बताया। मामले का खुलासा तब हुआ जब दोनों निर्दोष लड़के जेल से छूटने के बाद असली चोर को पकड़ कर ले आए।
मोहित सिंघल ने पुलिस से शिकायत की थी कि उनके निर्माणाधीन भवन के सामने रखे लोहे के सरियों को कोई चुरा कर ले गया है। टीआई ने सीसीटीवी कैमरे में देखा तो ऑटो रिक्शा चालक दो लड़के सरिया ले जाते हुए दिखाई दिए। इस आधार पर दोनों लोगों को हिरासत में लेकर थाने बुलवाया गया। यहां तक पुलिस की कार्रवाई बिल्कुल सही थी परंतु इसके बाद गड़बड़ की गई। टीआई ने गलत तरीके से इन्वेस्टिगेशन करके पकड़े गए दोनों लड़कों को चोर बता दिया। बाजार से सरिया खरीदा और उसे चोरों से जप्त करना बता दिया। (शायद यह बताने की जरूरत नहीं कि थाना प्रभारी ने यह सब कुछ क्यों किया होगा।) पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने दोनों लड़कों को जेल भेज दिया।
रिक्शा चालक भोलाराम प्रजापति और पवन बत्रा जेल से छूटने के बाद खुद को निर्दोष साबित करने में जुट गए। कुछ दिनों की तहकीकात के बाद दोनों लड़के असली चोर को पकड़ कर पुलिस के सामने ले आए। अब पुलिस अधिकारियों के हाथ पांव-फूल है। थाना प्रभारी का कहना है कि जब असली चोर मिल गया है तो दोनों लड़कों को निर्दोष घोषित कर देंगे, लेकिन सीआरपीसी का उल्लंघन की करने और गलत तरीके से इन्वेस्टिगेशन करने एवं पद का दुरुपयोग करने के आरोप में थाना प्रभारी मंगल सिंह के खिलाफ डिपार्टमेंटल इंक्वायरी और कार्रवाई की मांग की गई है। मानवेन्द्र सिंह, एसडीओपी, जौरा अपने थाना प्रभारी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
कहानी क्या है, गड़बड़ी कैसे हुई
भोलाराम प्रजापति पुत्र केदार प्रजापति ई-रिक्शा चलाता है। 7 अगस्त को कुछ लोग सवारी के रूप में मिले और भाड़े पर सरिया ले जाने की कहने लगे। उन्होंने अपना फोन नंबर दिया और सरिया उठाने की जगह बताई। इस पर 70 रुपए में वह सरिया अगले दिन सुबह ले जाने को तैयार हो गया। सरिया सांकरे फाटक तक लेकर जाना था। उसने सरिया सांकरे फाटक पर उतार दिया और अपना भाड़ा लेकर घर चला गया। 10 अगस्त को कुछ लोग उसके पास आए और उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाकर पुलिस थाना जौरा ले आए। यहां दोनों को चोर बताकर गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों की कोई सुनवाई नहीं की गई। मामले में पूरी इन्वेस्टिगेशन नहीं की गई बल्कि उसे फटाफट क्लोज कर दिया क्या। आश्चर्यजनक बात यह है कि टीआई ने बाजार से सरिया खरीद कर उसे चोरों के पास से जप्त करना बता दिया।
असली चोर कैसे पकड़ा गया
केदार प्रजापति के पास सोनू शाक्य का मोबाइल नंबर था। जिसने उसे सरिया की लोडिंग अनलोडिंग के लिए हायर किया था। इसी मोबाइल नंबर के आधार पर पुलिस असली चोर तक पहुंच सकती थी परंतु थाना प्रभारी ने ऐसा नहीं किया और चोरी के आरोप में जेल से छूटने के बाद केदार प्रजापति ने इसी मोबाइल नंबर के आधार पर असली चोर को पकड़ लिया।
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