जबलपुर। प्रकाश यादव, वोकेशनल ट्रेनर्स एसोसिएशन विरुद्ध लोक शिक्षण संचालनालय, मध्यप्रदेश शासन मामले में एडवोकेट अमित चतुर्वेदी की दलीलों से सहमत होते हुए मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया कि अनुभवी आउटसोर्स कर्मचारी को हटाकर नवीन अस्थाई कर्मचारी की भर्ती नहीं की जा सकती। याचिका का अंतिम निर्णय शेष है। सुनवाई के लिए 8 सितंबर 2021 की तारीख निर्धारित की गई है।
2016 से सेवा में हैं अस्थाई आउट सोर्स कर्मचारी
प्रकाश यादव, वोकेशनल ट्रेनर्स एसोसिएशन, स्टेट प्रेसिडेंट मध्यप्रदेश, आराधना सिंह कार्यसमिति सदस्य एवं 10 अन्य वोकेशनल ट्रेनर के पद पर, वर्ष 2016, 2017 से उच्चतर माध्यमिक स्कूल्स में आउटसोर्सिंग के द्वारा प्राप्त नियुक्ति के आधार पर कार्य कर रहे थे। दिसंबर माह में अनुबंध खत्म होने पर, अतिथि VT शिक्षक के पद पर भी नियुक्ति दी गई थी।
अनुभवी कर्मचारियों को हटाकर नवीन नियुक्तियां करने की मंशा
दिनांक 17/07/2021 को लोक शिक्षण आयुक्त द्वारा नवीन सर्विस प्रोवाइडर अनुबंधित को निर्देश जारी किया गया था कि नवीन चयन प्रक्रिया के बाद, प्रत्येक ट्रेड का एक वोकेशनल ट्रेनर प्रति विद्यालय में उपस्थित करवाएं। नवीन चयन प्रक्रिया में पूर्व से आउटसोर्सिंग द्वारा नियुक्त ट्रेनर को कोई प्राथमिकता नही थी। जबकि, याचिककर्ता ट्रेनर्स को वर्ष 2016/17 में नियुक्ति चयन प्रक्रिया के आधार पर ही दी गई थी। लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त द्वारा जारी आदेश से याचिकाकर्ता ट्रेनर्स के स्थान पर अन्य वोकेशनल ट्रेनर्स को नियुक्त किये जाने की मंशा थी।
आउटसोर्स कर्मचारी भी संविदा कर्मचारी के समान
प्रकाश यादव, आराधना सिंह एवं 10 अन्य वोकेशनल ट्रेनर के द्वारा हाई कोर्ट जबलपुर में आदेश दिनांक 17/07/21 को चुनौती दी गई थी। वोकेशनल ट्रेनर्स कई वर्षो से मध्य प्रदेश के स्कूल्स में कार्यरत हैं एवं केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना के तहत रोजगार बढ़ाने वाली शिक्षा दे रहे हैं।
आउटसोर्सिंग द्वारा नियुक्ति भी संविदा नियुक्ति का एक प्रकार है। एक संविदा कर्मचारी को दूसरे संविदा नियुक्ति से प्रतिस्थापित या भरा नही जा सकता है। यह स्थापित कानून है। परंतु, आयुक्त द्वारा जारी आदेश से वर्तमान व्यावसायिक ट्रेनर्स को हटाकर दूसरे शिक्षक नियुक्त किये जा रहे हैं।
हाईकोर्ट ने आउटसोर्स कर्मचारियों को प्राथमिकता देने के लिए कहा था
उच्च न्यायालय जबलपुर ने दिनांक 5 अगस्त को आयुक्त सहित अन्य लोगों को नोटिस जारी किए थे साथ ही अन्तरिम आदेश के देते हुए कहा था कि, चयन प्रक्रिया में याचिकाकर्ता गण को प्राथमिकता दी जाये एवं नवीन आउटसोर्सिंग सर्विस दाता को दिया गया कार्य उच्च न्यायालय के निर्णय के अधीन रहेगा। परंतु, शासन ने कोर्ट के आदेश की मनमानी व्याख्या करते हुए, 13 अगस्त को, पुराने VT को सेवा से पृथक करने के आदेश जारी कर दिये गए थे।
कार्यरत कर्मचारियों को नवीन चयन प्रक्रिया में शामिल करने का दवाब
17 अगस्त को पुनः सुनवाई हुई। प्रकाश यादव एवं अन्य की ओर से उच्च न्यायालय जबलपुर के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने बताया कि उच्च की सुनवाई के दौरान युगल पीठ का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया की कोर्ट के आदेश की मनमानी व्याख्या करते हुए, बोनस अंक के नाम पर कथित प्राथमिकता देते हुए सभी पुराने वोकेशनल ट्रेनर को सेवा से पृथक कर चयन प्रक्रिया में भाग लेने हेतु बाध्य किया जा रहा है।
आउटसोर्स कर्मचारी को सेवा से पृथक नहीं किया जाएगा
कोर्ट ने इसे गंभीर मामला माना एवं संशोधित आदेश जारी करते हुए शासन को निर्देश दिये कि किसी भी सर्विस प्रोवाइडर या शासन द्वारा पुराने वोकेशनल ट्रेनर्स को नियमित /स्थायी पदों पर भर्ती किये जाने तक सेवा से पृथक नही किया जाएगा। अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी ने बताया है कि अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
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