टाइफाइड फिजीशियन डा. अलका यादव का कहना है कि टाइफाइड बुखार दूषित पानी से नहाने, दूषित पानी के पीने या इससे भोजन बनाने से होता है। इसमें एक सेलमोनेला टाइफाइड नामक बैक्टीरिया होता है, जिसके पनपने से टाइफाइड होता है। यही नहीं यदि एक व्यक्ति को टाइफाइड का संक्रमण हो गया है और वह साफ-सफाई नहीं करता है कि उसके संपर्क में आने से अन्य व्यक्ति को भी यह हो सकता है।
मौसम में परिवर्तन के कारण भी टाइफाइड हो सकता है। टाइफाइड के लक्षण - टायफाइड में मरीज को तेज बुखार आता है। यह बुखार 103 डिग्री से 104 डिग्री तक बढ़ सकता है। टाइफाइड का बुखार लगभग एक हफ्ते तक आता रहता है। मरीज को बुखार आने के साथ ही पेट दर्द, भूख नहीं लगना, सिरदर्द होना, शरीर के कई हिस्सों में दर्द होना, दस्त लगना आदि लक्षण भी पाए जाते हैं।
टाइफाइड बुखार होने पर रखें इन बातों का ख्याल -
टाइफाइड के बुखार का असर एक हफ्ते तक होता ही है, इसलिए इस दौरान मरीज का ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखना चाहिए।
- यह बुखार बच्चों को अधिक प्रभावित करता है, इसलिए बच्चों की साफ-सफाई पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी होता है।
- टाइफाइड दूषित पानी और गंदगी से फैलता है, इसलिए अपने आसपास साफ-सफाई का ख्याल रखें और साफ पानी का ही प्रयोग करें। - इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि कुछ भी खाने से पहले या कुछ खाने के बाद हाथ जरूर धोने चाहिए, क्योंकि हाथों पर भी बैक्टीरिया चिपके होते हैं, जो खाने से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
- खाने को हमेशा ढककर रखना चाहिए। - टाइफाइड के बैक्टीरिया कई जगह हो सकते हैं, इसलिए घर के कोने-कोने की सफाई भी बहुत आवश्यक होती है जैसे दरवाजों के हैंडल, टीवी का रिमोट, मोबाइल फोन इन सभी चीजों को भी सैनिटाइज करना चाहिए।
- टाइफाइड के मरीज के आसपास भी साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि परिवार के किसी भी सदस्य को यह बीमारी हो सकती है।
- मरीज का बर्तन भी अलग रखना चाहिए ताकि उसके बर्तन के बैक्टीरिया अन्य बर्तनों में न फैलें।
- मरीज के कपड़े और बिस्तर की चादर भी रोज बदलनी चाहिए, विशेषकर बच्चों को हमेशा टायफाइड के मरीजों से दूर रखना चाहिए, क्योंकि बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है। ऐसे में छोटे बच्चों में संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।