छत्रपति शाहूजी महाराज के पेशवा (प्रधानमंत्री), सन 1664 से लेकर 1818 तक मराठा साम्राज्य (जिसे स्वराज कहते हैं) के सभी 9 महान पेशवाओं में सर्वश्रेष्ठ श्रीमन्त पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट केवल महाराष्ट्र के लिए ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। बाजीराव पेशवा उस योद्धा का नाम है जिसने पहली बार पूरे मध्यप्रदेश को भगवा ध्वज के तले संगठित कर दिया था।
श्रीमंत बाजीराव पेशवा को केवल स्वराज को सशक्त बनाने के लिए ही याद नहीं किया जाता बल्कि मध्य भारत से लेकर उत्तर भारत तक और कर्नाटक तक मुगलों एवं पुर्तगालियों को खदेड़कर यहां के नागरिकों को पहली बार स्वतंत्रता का एहसास दिलाने वाले महान प्रधानमंत्री के रूप में भी याद किया जाता है। सभी जानते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त की। किसी भी युद्ध में उनकी पराजय नहीं हुई। लोग उन्हें शिव जी का अवतार मानते थे।
1724 में श्रीमंत बाजीराव ने मालवा और कर्नाटक पर भगवा लहरा दिया था। बुंदेलखंड से मुगल सेना को मार भगा कर उसे भी स्वतंत्र करवा दिया था। भोपाल के नवाब को श्रीमंत बाजीराव ने दो बार पराजित किया। इस प्रकार उन्होंने मालवा, बुंदेलखंड और भोपाल को मुगलों एवं नवाब के चंगुल से मुक्त करा कर भगवा ध्वज के तले स्वराज की स्थापना की थी। आम नागरिकों को पहली बार संगठन और स्वतंत्रता का एहसास हुआ था।
श्रीमंत बाजीराव के कारण सिंधिया राजवंश की शुरुआत हुई
उत्तर की विजय यात्रा के बाद उज्जैन में जब श्रीमंत बाजीराव पेशवा को पता चला कि यहां मुगलों ने न केवल लोगों की संपत्ति लूटी है बल्कि संस्कृति को समाप्त करने के लिए प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिरों को नष्ट कर दिया है तब उन्होंने अपने वफादार साथी राणोजीराव शिन्दे को शाहू जी महाराज का प्रतिनिधि बनाकर उज्जैन में रोक दिया। ताकि उज्जैन के सभी प्राचीन मंदिरों का भव्य पुनर्निर्माण किया जा सके।
राणोजीराव ने श्रीमंत बाजीराव के निर्देशानुसार वैसा ही किया और फिर संस्कृति की रक्षा के लिए राणोजीराव को मालवा में निवास करने के लिए आदेशित किया गया। इस प्रकार शिंदे परिवार मध्यप्रदेश पहुंचा और सिंधिया राजवंश बना। महादजी शिंदे के अभियान के कारण ग्वालियर को सिंधिया राजवंश की राजधानी बनाया गया।