अपन सभी जानते हैं कि भारत और यूरोप के सभी देशों में 220 वोल्ट बिजली सप्लाई की जाती है जबकि अमेरिका में इसकी आधी 110 वोल्ट बिजली सप्लाई की जाती है। यदि अपन बिजली के उपकरणों की बात करें तो अमेरिका में आम नागरिकों द्वारा बिजली का खर्चा भारत और यूरोप के नागरिकों से ज्यादा किया जाता है। सवाल यह है कि जब 110 वोल्ट बिजली से काम चल सकता है तो फिर 220 वोल्ट बिजली सप्लाई क्यों की जाती है। क्या बिजली का बिल बढ़ाने के लिए यह चाल चली गई है।
कंप्यूटर साइंस इंजीनियर राघव सिंह बताते हैं कि यूरोप में बिजली के मानक है 220वोल्ट, 50Hz और अमेरिका में बिजली के मानक 110वोल्ट, 60Hz है लेकिन इसके कारण अमेरिका की बिजली को अच्छा और यूरोप की बिजली को खराब नहीं कहा जा सकता। दरअसल, यह एक परंपरा के कारण है जिसे बदला नहीं जा सकता। क्योंकि यदि बदलने का प्रयास किया तो सभी नागरिकों को अपने बिजली उपकरण बदलने पड़ेंगे।
राघव बताते हैं कि थॉमस एडिसन ने बल्ब का आविष्कार किया था यह तो सभी जानते हैं परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि थॉमस एडिसन ने अपने बल्ब को जलाने के लिए पूरे इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम का ही अविष्कार किया था। थॉमस एडिसन की रिसर्च के अनुसार 110 वोल्ट पर बिजली के बल्ब सबसे अच्छी रोशनी दे रहे थे। उन्होंने DC बिजली प्रणाली को सबसे बेहतर माना।
इसी समय में दुनिया के दूसरे कोने में निकोला टेस्ला, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम पर काम कर रहे थे। उनकी रिसर्च के हिसाब से AC इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम सबसे अच्छा था। उन्होंने 240वोल्ट, 60Hz एसी बिजली का अविष्कार किया। इनके गणित के अनुसार 60Hz सबसे अधिक प्रभावी था।
दोनों वैज्ञानिकों के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई थी। दोनों ने अपने-अपने इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम को सबसे बेहतर साबित करने के लिए कई प्रदर्शन किए। अंत में दुनिया के विभिन्न देशों ने अपनी समझ और जरूरत के हिसाब से थॉमस एडिसन या फिर निकोला टेस्ला के इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम को लागू किया।
अमेरिका ने थॉमस एडिसन के इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम को लागू किया जबकि यूरोप के देशों ने टेस्ला के AC इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम को लागू करने का फैसला किया। एक संशोधन किया गया कि 240 वोल्ट की जगह 110 वोल्ट रखा जाएगा परंतु बजट का मामला सामने आ गया। 110 वोल्ट सप्लाई के लिए मोटे तारों की जरूरत थी जबकि 240 वोल्ट सप्लाई के लिए सस्ते और कमजोर तारों से काम चल रहा था। इसलिए भारत सहित यूरोप में 220 वोल्ट बिजली सप्लाई करने का फैसला किया गया।
कुल मिलाकर भारत सहित यूरोप में जो बल्ब जलता है वह थॉमस एडिसन की बिजली से नहीं बल्कि निकोला टेस्ला की बिजली से जलता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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